19.4.05

गिरगिट रङ्ग बदलने को तैयार है

इसकी मदद से आप किसी भी भारतीय लिपियों का मसला देवनागरी में बदल सकते हैं। ध्यान दें यह अनुवाद नहीं करता है, बस लिपि बदलता है। इसका इस्तेमाल कई स्थितियों में किया जा सकता है, जैसे कि गुजराती लेखों को देवनागरी में देखने के लिए, या यदि आपको किसी लिपि के बजाय बक्से दिखते हैं, उसे देवनागरी में देखने के लिए, या फिर भाषा सीखने के लिए। इसे दुतरफ़ा भी किया जा सकता है। फिर, आप पञ्जाबी को देवनागरी में लिख के बस उसे गुरमुखी में बदल के छाप सकते हैं। इसी प्रकार यदि किसी लिपि की मुद्रलिपियाँ साइबर कैफ़े में सुलभ न हों तो भी उसमें लेखन किया जा सकता है, यदि दूसरी किसी लिपि की मुद्रलिपियाँ हों तो। उदाहरण के लिए, गुजराती ब्लॉग मण्डल से ताज़ा सुर्खियाँ गिरगिट पर चेंप के देखिए:
# રાખનાં રમકડાં મારા રામે રમતાં રાખ્યાં રે # વજુ કોટક - પ્રભાતનાં પુષ્પો # મૂળ રંગ # નિરમીશ ઠક્કર - ફલેટને ત્રીજે માળથી # ચંદ્રકાંન્ત શેઠ - શોધતાં # મોનીકા શાહ - તમે # 'કલાપી' સુરસિંહજી તખ્તસિંહજી ગોહિલ - આપની યાદી # પ્રેમ # ચંપકલાલ વ્યાસ - પિતાની ઝૂંપડી મધ્યે # હસે તેનું ઘર વસે # મકરંદ દવે - ગમતાંનો કરીએ ગુલાલ # દિવાબેન ભટ્ટ - લીલુંછમ # પ્રેમ # કુમુદ પટવા - ક્યાં છે? # ભગવતીકુમાર શર્મા - બે મંજીરાં # જમન કુંડારિયા - સિતારા # હરજીવન દાફડા - નીકળવું છે # ઇન્તઝાર # ૐ શ્રી ગણેશાય નમઃ # મારા મરણ પર # તમારી ઉડતી જુલફો # સદાશિવ વ્યાસ - "-" # રાવજી પટેલ - ગીત # ઉમાશંકર જોષી - ભોમિયા વિના # પ્રિન્સ અમેરીકા - તારી યાદ આવે છે - 1 # નર્મદ - જય જય ગરવી ગુજરાત! # કહે નેપોલિયન દેશને # તું હસે છે જ્યારે જ્યારે, # હસતે મુખ રસ્તામાં વેર્યા, # પ્રિતમદાસ - હરીનો મારગ છે શૂરાનો
आपको पता चल जाएगा कि चल क्या रहा है:
* राखनां रमकडां मारा रामे रमतां राख्यां रे * वजु कोटक - प्रभातनां पुष्पो * मूळ रंग * निरमीश ठक्कर - फलेटने त्रीजे माळथी * चंद्रकांन्त शेठ - शोधतां * मोनीका शाह - तमे * 'कलापी' सुरसिंहजी तख्तसिंहजी गोहिल - आपनी यादी * प्रेम * चंपकलाल व्यास - पितानी झूंपडी मध्ये * हसे तेनुं घर वसे * मकरंद दवे - गमतांनो करीए गुलाल * दिवाबेन भट्ट - लीलुंछम * प्रेम * कुमुद पटवा - क्यां छे? * भगवतीकुमार शर्मा - बे मंजीरां * जमन कुंडारिया - सितारा * हरजीवन दाफडा - नीकळवुं छे * इन्तझार * ॐ श्री गणेशाय नमः * मारा मरण पर * तमारी उडती जुलफो * सदाशिव व्यास - "-" * रावजी पटेल - गीत * उमाशंकर जोषी - भोमिया विना * प्रिन्स अमेरीका - तारी याद आवे छे - 1 * नर्मद - जय जय गरवी गुजरात! * कहे नेपोलियन देशने * तुं हसे छे ज्यारे ज्यारे, * हसते मुख रस्तामां वेर्या, * प्रितमदास - हरीनो मारग छे शूरानो
या फिर बाङ्ग्ला चिट्ठा संसार को भी रङ्ग बदलते देखिए:
# Adda XML Feed # আমি বান্গ্ লাদেশি XML Feed # বইপত্র XML Feed # মুখ ও মুখোশ XML Feed # শুভ্র'র ব্লগ পাতা XML Feed # শুভ্র'র ব্লগ পাতা XML Feed # সোনার বাংলা ব্লগ XML Feed # হুমায়ুননামা XML Feed # Bangla blog directory (বাংলা ব্লগ ডিরেকটারি) XML Feed # e XML Feed # halbehal XML Feed # Kobita XML Feed
बन जाएगा
# Adda XML Feed # आमि बान्ग् लादेशि XML Feed # बइपत्र XML Feed # मुख ओ मुखोश XML Feed # शुभ्र'र ब्लग पाता XML Feed # शुभ्र'र ब्लग पाता XML Feed # सोनार बांला ब्लग XML Feed # हुमाय़ुननामा XML Feed # Bangla blog directory (बांला ब्लग डिरेकटारि) XML Feed # e XML Feed # halbehal XML Feed # Kobita XML Feed
है न काम की चीज़? आपके सुझाव आमन्त्रित हैं।

गिरगिट को क्या बोलते हैं?

एक आवश्यक जानकारी - गिरगिट को पञ्जाबी में क्या बोलते हैं? उड़िया में? कन्नड़ में? गुजराती में ? बाङ्ग्ला में? और मलयालम में? जल्द ही आ रहा है - गिरगिट (अभी चटका लगाना बेकार है)

18.4.05

जीपीऍल

जीपीऍल के बारे में जानकारी, टिप्पणियों में चर्चा के लिए आप सभी आमन्त्रित हैं।

17.4.05

वेटा बाप से भी गोरा

बेटा तो बाप से भी गोरा है। बाप को ठीक करने के लिए गूगल भइया को लिखा है। देखते हैं क्या करता है इस बार। बहरहाल, यूज्नॅट के समाचार समूह पर सन्देश भेजने के कई फ़ायदे है, बनिस्बत याहू समूह या गूगल समूह के। यूज़्नॅट के सन्देशों का आतिथ्य कई जगह होता है, इसके पुरालेख भी कई जगह मौजूद रहते हैं। तो आपकी बात जङ्गल की आग की तरह बहुत जगह, बहुत जल्द फैल जाएगी। बस चक्कर यह है कि डाक पता आपको फेंकू वाला इस्तेमाल में लाना होगा। एक सवाल, इन छवियों में जो सन्देश हैं, वे आपको अपने समाचार पाठक यानी न्यूज़रीडर से दिख रहे हैं क्या? बताइएगा। अपने पास तो अब कोई समाचार वाली सदस्यता रही नहीं, क्योंकि बर्लिन वालों ने तो पैसे माँगने शुरू कर दिए हैं। यदि किसी को कोई और फ़ोकट वाला पता हो तो बताने का कष्ट करें, बहुत आभारी रहूँगा, क्योंकि यूज़्नॅट न होता तो शायद मुझे बहुत देर से पता चलता कि जाल पर हिन्दी में कैसे लिखा जाए। जय हनुमान, शायद यह था पहला सन्देश जिसे पढ कर मुझे लगा कि ये तो बढ़िया है! हिन्दी के कुछ आदि सन्देशों में से एक। हेमन्त जी का साक्षात्कार पढ़ के लगा कि यूज़्नॅट को प्रायः भूल सा गया हूँ, जबकि ऐसा होना नहीं चाहिए था। भले ही यह चमक दमक वाला माध्यम न हो, इसकी पहुँच बहुत है। पर भूलने का मुख्य कारण सुगमता से लेखन व पाठन की सुविधा न होना ही था। आप भी चाहें तो गूगल बाप की समस्या के बारे में गूगल को लिख सकते हैं।