29.4.07

मैं और मेरा सेब

मैं और मेरा सेब - अक्सर यह बाते करते हैं, कि ये होता तो क्या होता, कि वो होता तो क्या होता। यह सेब इतना सुन्दर है कि सारे जालस्थल बदसूरत लगने लगे हैं, सो होते हैं हम नौ दो ग्यारह।