19.8.08

गूगल पर बीजिंग २००८

तो गूगल वालों ने आज आपने शुभंकर पर चटका लगाने पर बीजिंग २००८ की खोज पर ले जाने का फ़ैसला किया है। बीजिंग २००८ ५०,४०० परिणाम मिलते हैं, "बीजिंग २००८" की खोज के, और २,५९,००० परिणाम मिलते हैं, "बीजिंग 2008" के, पदक तालिका समेत। हाँ, वरियताएं और शामील को ठीक करना अभी बाकी है।

अंतरंग

वास्तव में लिखने और सोचने में फ़र्क है, यानी, आप जो सोचते हैं उसे लिख कर व्यक्त कर तो सकते हैं पर दिमाग़ में क्या चल रहा है, ठीक उसे तो नहीं लिख सकते, ऐसा कहीं पढ़ा था। जैसे कि आप कोई भी शब्द लें, मसलन आज़ादी। कई मतलब हैं इस शब्द के, लेकिन शब्द एक ही है। उसी तरह, विशेषण, जैसे कि अच्छा, बड़ा, लाल, तेज़, कड़वा - एक ही शब्द लेकिन वह वास्तव में भाव को व्यक्त करने में असमर्थ हैं, यानी समर्थ तो हैं पर यह है तो मात्र अन्दाजन ही। जैसे, हरी मिर्च और काली मिर्च दोनो ही कड़वी होती हैं और करेला भी पर कड़वाहट में फ़र्क फिर भी है।

वही फ़र्क भाषा दर भाषा भी आ जाता है, और लेखन पद्धति की वजह से भी। रूसी में ह का परिचायक कोई अक्षर नहीं है। केवल X जिसका उच्चारण ह और ख के बीच का होता है - कुछ कुछ ख़ की तरह। मिखाइल गोर्बाचेव में भी इसी का इस्तेमाल होता है और महेश में भी, और हैङ्कॉक में भी।

वास्तव में भारत की सभी भाषाओं के लिए एक ही लिपि रखने का विचार है तो अच्छा पर ऐसा होने से भी हम कुछ खो देंगे।

15.8.08

आज की कारस्तानियाँ

आज के दिन मैं नौ दो ग्यारह होने से पहले यह सब करते हुए धरा गया -
  • 18:11 आज़ादी #
यह सेवा पेश की है लाउडट्विटर ने, उनको धन्यवाद।

मॉस्को

हम : यह लो चॉकलेट और केक।
रूसी : वाह। आपका जन्मदिन है?
हम : नहीं। हमारा स्वतन्त्रता दिवस है।
रूसी : स्वतन्त्रता दिवस! {???} अच्छा बधाई हो।
रूसी : किस चीज़ से स्वतन्त्रता?
हम : बरतानिया से।
रूसी : हाँ हाँ हम भी वही सोच रहे थे!

मॉस्को

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