tag:blogger.com,1999:blog-6133551.post110437079602044719..comments2024-01-19T08:14:40.801+05:30Comments on नौ दो ग्यारह: सूनामी नहीं, त्सूनामीआलोकhttp://www.blogger.com/profile/03688535050126301425noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-6133551.post-1104473575337281972004-12-31T11:42:00.000+05:302004-12-31T11:42:00.000+05:30सो तो है। वैसे हममें से ही कितने लोग करना को करना ...सो तो है। वैसे हममें से ही कितने लोग करना को करना बोलते हैं, आधिकतर लोगों का उच्चारण तो कर्ना ही होता है। लेकिन उसके लिए हम लिखते हुए करना ही लिखते हैं।आलोकhttps://www.blogger.com/profile/03688535050126301425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6133551.post-1104435168131524482004-12-31T01:02:00.000+05:302004-12-31T01:02:00.000+05:30आप लिख भले लें त्सूनामी पर बोलेंगे कैसे जब तक आप क...आप लिख भले लें त्सूनामी पर बोलेंगे कैसे जब तक आप कोई दक्षिण पूर्वी एशियाई भाषा आपकी पहली भाषा न हो मसलन कोरियन, बहाषा इंडोनेशियन, मलय वगैरह. क्योंकि भारतीय भाषाओं में इन दो वर्णों के जोड़ से कोई शब्द शुरु ही नहीं होता. बीच और अंत में अवश्य प्रयोग कर सकते हैं.विजय ठाकुरhttps://www.blogger.com/profile/07434149725823745952noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6133551.post-1104393880830084212004-12-30T13:34:00.000+05:302004-12-30T13:34:00.000+05:30आलोक जी,
आपकी कुशलता जानकार तसल्ली हुई। राजेश जी ...आलोक जी,<br /><br />आपकी कुशलता जानकार तसल्ली हुई। राजेश जी कल्पवृक्ष वाले जो सुमात्रा में हैं ने भी आज एक प्रविष्टि की है।<br /><br />पंकजAnonymousnoreply@blogger.com