tag:blogger.com,1999:blog-6133551.post115607471864072938..comments2024-01-19T08:14:40.801+05:30Comments on नौ दो ग्यारह: माइक्रोसॉफ़्ट द्वारा हिन्दी का बलात्कार - 3आलोकhttp://www.blogger.com/profile/03688535050126301425noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6133551.post-42526062423531306352007-07-26T11:23:00.000+05:302007-07-26T11:23:00.000+05:30यदि से मुक्तस्रोत हैं, तो अच्छा होगा कि हम टिप्पणि...<I>यदि से मुक्तस्रोत हैं, तो अच्छा होगा कि हम टिप्पणियाँ करने की वजाए उन्हें सुधारने का प्रयास करके अपना भी योगदान दें। <BR/></I><BR/><BR/>बिल्कुल सही। दिक्कत तभी आती है जब मुक्त स्रोत न हो और कोई सुनने वाला न हो, जैसे कि <A HREF="http://devanaagarii.net/hi/alok/blog/2007/07/blog-post_23.html" REL="nofollow">यहाँ</A>।आलोकhttps://www.blogger.com/profile/03688535050126301425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6133551.post-76705750050052955752007-07-26T10:03:00.000+05:302007-07-26T10:03:00.000+05:30क्षेत्रीयकरण स्थानीयकरण (localisation) में बहुत सी...क्षेत्रीयकरण स्थानीयकरण (localisation) में बहुत सी ऐसी त्रुटियाँ दिखाई देती हैं। धीरे-धीरे ठीक होंगी। लिनक्स के विभिन्न फ्लेवर जो कुछ स्वयंसेवियों के द्वारा हिन्दी में अनुदित किए गए हैं, उनमें भी ऐसी अनेकानेक त्रुटियाँ हैं। <BR/><BR/>यदि से मुक्तस्रोत हैं, तो अच्छा होगा कि हम टिप्पणियाँ करने की वजाए उन्हें सुधारने का प्रयास करके अपना भी योगदान दें।हरिरामhttps://www.blogger.com/profile/12475263434352801173noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6133551.post-19143325682289010932007-05-19T01:25:00.000+05:302007-05-19T01:25:00.000+05:30हाँहाँआलोकhttps://www.blogger.com/profile/03688535050126301425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6133551.post-1170791177669361072007-02-07T01:16:00.000+05:302007-02-07T01:16:00.000+05:30कहां हम सरकारी भाषा को कोसते थे। ये ससुरी साफ्टवेय...कहां हम सरकारी भाषा को कोसते थे। ये ससुरी साफ्टवेयरों की भाषा तो और जुलम है!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6133551.post-1163529110934695612006-11-15T00:01:00.000+05:302006-11-15T00:01:00.000+05:30हा! दुर्भाग्य हिन्दी भाषा का! कहाँ हम इसकी सहजता क...हा! दुर्भाग्य हिन्दी भाषा का! कहाँ हम इसकी सहजता की तारीफों के पुल बांधा करते थे, एक डायलौग बौक्स ने शर्मसार कर दिया | दुःख!Anuraghttps://www.blogger.com/profile/11984538289882278685noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6133551.post-1156135715714781602006-08-21T10:18:00.000+05:302006-08-21T10:18:00.000+05:30समझने में असमर्थ हूँ, हँसु या सर पीटु.समझने में असमर्थ हूँ, हँसु या सर पीटु.Anonymousnoreply@blogger.com