25.7.07

सातवाँ खम्भा

शानदार टिप्पणी। अब हम होते हैं नौ दो ग्यारह।

1 टिप्पणी:

  1. बेनामी7:36 pm

    आलोक भाई नो दो गयारह हो या तेरह,हम कोई दिक्कत नही पर ये खम्बा तो छोड कर जाते .ये गलत बात है माल उठा कर नो दो गयारह होना कानून की किस किस धारा के अनुसार अपराध है हम अभी बाढमेर पुलिस से पूछने जा रहे है.लौट कर आने तक खंबा वापस रख देना वरना हम तब पुलिस मे रिपोर्ट दर्ज कराने के लिएये राजेश रोशन जी को बुला लेगे..:)

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