29.11.05

खोजा वारिस, मिली झाँसी की रानी

वारिस की खोज करते हुए मिल गईं झाँसी की रानी। बड़े दिनों बाद मिली। याद है मुझे, मैंने पूरी कविता घोटी थी। काफ़ी लम्बी चौड़ी है। बाद में पता चला कि यह कविता और जगह भी है। लेकिन ओल्ड पोएट्री में केवल हिन्दी की कविताएँ खोजने की सुविधा या वर्गीकरण नहीं मिला। पहली बार जब झाँसी गया था - लखनऊ से मद्रास जाना था, तो झाँसी से गाड़ी बदली थी। तो झाँसी में कुछ छः घण्टे का समय था। सोचा था कि किला देखूँगा, लेकिन घुस गया थियेटर में, और देख डाली बॉम्बे। किला अब तक नहीं देखा है, दस साल हो गए।

25.11.05

तिरुक्कुरळ

करैकुडि के ऍमजी व्यङ्कटकृष्णन ने 1966 में इनका तमिळ से अनुवाद किया था। बहुत से अध्याय हैं। धर्म काण्ड, अर्थ काण्ड और काम काण्ड। लेकिन इसके बजाय यदि आप झारखण्ड से निर्दलीय चुनाव लड़ने वालों के नाम जानना चाहते हों तो वो भी मिल जाएँगे। अरे बड़ा धाँसू स्थल बनाया है चुनाव आयोग वालों ने। काम इसपे सीऍमसी ने किया है जिसका मालिक अब टीसीऍस है। कौन कहता है आईटी कम्पनियाँ हिन्दुस्तान के लिए कुछ करती नहीं हैं? नोट बिछाओ, तो सब कुछ करने को तैयार हैं। और चुनाव के बाद राजस्थान विधान सभा के सूचीबद्ध प्रश्नों का जायका भी ले लिया जाए।

23.11.05

मात्राओं की ग़लतियाँ

पहले भी लिखा था, और अब फिर लिख रहा हूँ, कि मात्राओं की ग़लतियाँ यदि हैं तो उसका निदान भी है। दिक्कत लिखने में नहीं है, लिखे के प्रदर्शन में है, और उसे ठीक करना काफ़ी सरल है। मसलन, ये प्रविष्टि आपको ऐसी दिखनी चाहिए: मात्रा यदि नहीं दिख रही हो तो यहाँ जाएँ:
त्रुटि इस बीच चिट्ठों के बारे में एक अच्छा नज़रिया मिला - वागर्थ के इस लेख से, और कुछ (कम से कम मेरे लिए तो) नए काव्यात्मक चिट्ठे मिले - सुरभित रचना, और ख़ुशबू

खुली निर्देशिका के बारे में कुछ खुलासा

नेट्स्केप की खुली निर्देशिका, जो कि गूगल की निर्देशिका बन जाती है, बल्कि इतना ही नहीं, कोई भी इसका आर डी ऍफ़ डम्प ले के कुछ शर्तों के अन्तर्गत काम में ला सकता है। आप ये भी देखेंगे कि गूगल के खोज परिणामों में स्थलों के वर्णन सीधे इसी निर्देशिका से टीपे होते हैं, यदि ये स्थल निर्देशिका में हों तो। इस निर्देशिका को सम्पादकों की आवश्यकता हमेशा रहती है - जो कि फ़ोकट में काम करते हैं, और जाल पर अच्छे स्थलों को प्रोत्साहन देने में दिलचस्पी रखते हों, केवल अपने स्थल का प्रचार और प्रसार में ही दिलचस्पी रखने वाले लोगों का यहाँ स्वागत नहीं होता है। हिन्दी में इसके तीन विभाग हैं - मुख्य हिन्दी विभाग, शिशुओं व किशोरों के लिए (ये अभी सार्वजनिक नहीं हुआ है), तथा केवल वयस्कों के लिए। अब ये ज़िम्मेदारी का काम है, क्योंकि यहाँ जो स्थल जाते हैं, पूरी दुनिया को उनके बारे में ज़्यादा जल्दी पता चलता है। तो आपका भी स्वागत है इस सफ़र में। किसी भी वर्ग के पृष्ठ में ऊपर स्थित "पता जोड़ें" अथवा "सम्पादक बनें" पर चटका लगाएँ। अपनी निर्देशिका बनाने के बजाय इसमें जोड़ने का लाभ ये है कि इसकी पहुँच बहुत है, आप रहें न रहें आपका काम आपके बाद भी रहेगा, और आपका नाम तो होगा ही।

17.11.05

सूवा से रेड्मण्ड तक

पिछले दो दिनों में http://devanaagarii.net पर एक नॉर्थ शोरी - न्यूज़ीलैण्ड से, एक सूवाई - फ़ीजी से, एक बैङ्क्स्टाउनी (ऑस्ट्रेलिया से), एक योकोहामी, एक मात्सुबाराई, एक सिङ्गापुरी, एक कलकतिया, दो मद्रासी, ग्यारह बङ्ग्लोरी, एक मङ्गलोरी, एक कोर्तालिमी (गोअन), दो हैदराबादी, एक पिम्परी चा, एक विले पार्ली, दो कानपुरी, एक ग्वालियरी, एक जयपुरी, एक ग़ाज़ियाबादी, एक चण्डीगढ़ी, सत्ताईस देहलवी (हाँ, सत्ताईस), एक रूवी (ओमानी), एक दुबई का भाई, एक स्पोल्तोरी, एक रोमन, एक मोङ्कालिएरी, एक कॉम्ब्स-ला-विले, एक द्यूसेल्दोर्फ़ी, एक ब्रेण्ट्फ़ोर्डी, 3 कैम्ब्रिजी, एक कार्डिफ़ी, एक स्टॉकहोमी, एक वास्तेरासी (स्वीडन ही), एक एस्पूई (फ़िनलैण्ड), एक साओपाओली, एक ब्रासिलियाई, एक वाटर्टाउनी, एक आइलैण्डियाई, एक व्हाइट प्लेनी, एक डिवॉल्टी, एक बाल्टीमोरी, एक आर्लिङ्ग्टनी, एक आउट्रिमाण्टी, एक किङ्ग्स्टनी, एक स्कार्बोरो जङ्क्शनी, एक केण्टनी, एक ब्लूमिङ्ग्टनी, एक शिकागोई, एक सेण्ट लुइसी, एक नॉक्स्विली, एक हैम्प्टनी, एक विक्सबर्गी, एक यूलेसी, एक ह्यूस्टनी, एक बोल्डरी, एक चीनो, एक लॉस एञ्जेलेसी, एक माउण्टेन व्यूई, एक फ़्रिस्कोई, और एक रेडमण्डी खाक छानने आए। बाद वालों की कड़ियाँ नहीं हैं, थक गया था। अब बताओ इसमें से तुम कौन कौन हो।
नक्शा

ऍण्ट्रांस

एक धाँसू चीज़, अनुवादकों के लिए। एक जीता जागता उदाहरण। जो भी अनुवाद करना है, उसके वाक्यांश अपने स्थल पर चढ़ा दो, लोगबाग अपने सुझाव दे सकते हैं, अपनी सुहूलियत के हिसाब से। साथ ही, बेनामी अथवा पञ्जीकरण समेत, दोनो तरह से काम किया जा सकता है। अनुवादों को स्वीकारना सञ्चालक के हाथ में है इसलिए अफ़रा तफ़री भी नहीं मचेगी। दूसरों के सुझाव भी आपको नज़र आते हैं। मिल जुल के अनुवाद करने के लिए बहुत अच्छा है। इसकी मदद से एक अच्छा सामूहिक अङ्ग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोष भी बनाया जा सकता है।

16.11.05

महामेधा

दिलचस्प स्थल की खोज करते करते पता चला कि सत्य , सत्य ही होता है। अमाँ यार कोई नई बात बताओ। स्थल यूनिकोडित है और इसमें ताज़े समाचार भी हैं। हाँ, थोड़ी अङ्ग्रेज़ी भी दिखी - ADODB.Field error '800a0bcd' Either BOF or EOF is True, or the current record has been deleted. Requested operation requires a current record. /middlestorymain.asp, line 30 शायद ये मिलाप वालों का अखबार है।

8.11.05

प्रेम रावत, गुरुघण्टाल

चमकीले जालस्थल पर न जाइए, ये गुरु जी, गुरु घण्टाल ही हैं। कैलिफ़ोर्निया में आलीशान बङ्ग्ला है, हैलिकॉप्टर है, जेट है, और चेलों के साथ व्यभिचार करने के आरोप भी हैं। खुलासा। कोई इस स्थल का हिन्दी अनुवाद करना चाहे तो बढ़िया हो, ऐसी जानकारियाँ जितनी भाषाओं में हों, उतना अच्छा है। आप देखेंगे कि फ़ायर्फ़ाक्स लिनक्स पर भी यह त्रुटि दर्शाता है, पर थोड़ी अलग तरह से। यहाँ पर अक्षरों के साथ मात्राएँ तो चिपकी हुई हैं, लेकिन शब्द छितरे हुए हैं। विण्डोज़ में इसी पन्ने को देखेंगे तो अक्षर, मात्रा, सब कुछ छितरा हुआ है। खैर दोनो ही प्रदर्शन त्रुटिपूर्ण हैं।

7.11.05

मैं हूँ ना

नहीं फ़िल्म नहीं, चिट्ठा

lang विशेषण

आज बात करते हैं ऍचटीऍमऍल के lang विशेषण की। विशेषण यानी ऍट्रिब्यूट। इसका इस्तेमाल कैसे होता है? <html lang="hi"> ... </html> इससे पता चलता है कि पूरा पन्ना हिन्दी में है। साथ ही, <p lang="hi"> ... </p> इससे पता चलता है कि इस अनुच्छेद का मसला हिन्दी में है। ऐसा क्यों करना चाहिए? किसी भी ब्राउज़र, खोजक या तन्त्रांश को पता लगाना हो कि सामग्री कौन सी भाषा में है, तो वो क्या करे? या तो वो कूटबन्धन देख सकता है, लेकिन कूटबन्धन यूटीऍफ़-8 हो तो भाषा कुछ भी हो सकती है। फिर, उस कूटबन्धन के कौन से अक्षरों का प्रयोग हुआ है, वह देख सकता है, जैसे कि क, ख ग। लेकिन उसमें भी पङ्गा है क्योंकि हिन्दी के अलावा अन्य भाषाएँ भी इन्हीं अक्षरों का प्रयोग करती हैं। इसलिए मान लीजिए कि आप गूगल पर लेख की खोज करते हैं, तो आपको मराठी के परिणाम भी मिलेंगे, और नेपाली के भी। चक्कर तो ये भी है न कि कितने सारे शब्द सभी भारतीय भाषाओं में एक समान भी हैं। यदि आप गूगल का 'केवल हिन्दी भाषा के स्थल खोजें' वाला विकल्प भी चुनें, तो भी कोई ख़ास फ़र्क नहीं पड़ता - वैसे ये विकल्प फ़िलहाल हिन्दी के लिए गूगल में उपलब्ध नहीं है, पर बाद में तो होगा। अतः इन विशेषणों का प्रयोग अपने पन्नों, अपने चिट्ठों के खाकों, अपने अनुच्छेदों में करें। आप पछताएँगे नहीं। और जानें

6.11.05

इण्टरनेट एक्स्प्लोरर हिन्दी में

हिन्दी भाषा ऍक्स पी पर स्थापित करने के बाद एक और लाभ मिला, वो ये कि नोटपॅड, इंटरनेट एक्स्प्लोरर आदि का अन्तरापृष्ठ भी हिन्दी में आता है। लेकिन ध्यान देने लायक बात यह है कि यदि आप इंटरनेट एक्स्प्लोरर की खोज करते हैं तो ठीक है, लेकिन, इण्टर्नेट एक्स्प्लोरर या इंटर्नेट एक्स्प्लोरर या इंटर्नेट ऍक्स्प्लोरर या इण्टर्नेट ऍक्स्प्लोरर या इंटरनेट ऍक्स्प्लोरर पे खोज मारी तो हाथ मलते रह जाएँगे।

5.11.05

विण्डोज़ ऍक्स पी लॅग्वेज इंस्टॉलेशन पॅक

इसे आजमा के देखा। पूरा अनुवाद नहीं है, और कई जगह अनुवाद खटकता है। लेकिन एक अच्छी शुरुआत है। इसके लिए विण्डोज़ ऍक्स पी सर्विस पॅक 1 चाहिए। मेरा जालस्थल ठीक नहीं चल रहा था, सो कल यह नहीं छप पाया। इस बीच कन्हैया रस्तोगी ने भी इस बारे में लिखा है।

3.11.05

इण्डियाप्रेस - इंस्क्रिप्ट कुञ्जीपटल

इस यूनिकोड ने समस्याएँ भी कम नहीं खड़ी की हैं। अब, पहले इ की मात्रा लगा के उसके बाद व्यञ्जन छापना एक आम आदत है, ग़लती नहीं कहूँगा क्योंकि यह तो स्वाभाविक ही है। सम्पादन तन्त्रों में इतनी अकल होनी चाहिए कि बिना व्यञ्जन के मात्रा न छापने दें, और एक व्यञ्जन के ऊपर एक से अधिक मात्रा न लगने दें, और हलन्त के बाद मात्रा न लगने दें। अक्षरों को प्रदर्शित टुकड़ों के आधार पर विभाजित करना बहुत अच्छा काम नहीं है - इससे बेहतर होता कि मूल व्यञ्जन हलन्त वाले बनाते और उसके बाद स्वर आने पर हलन्त गायब किया जाता। बहरहाल, जो है सो है। और ये इंस्क्रिप्ट कुञ्जीपटल बढ़िया है, साइबरकैफ़े आदि में काम करने के लिए। ऊपर दिए वर्णन में मात्राओं की स्थिति सही नहीं है, लेकिन कुञ्जीपटल तो सही चल रहा है।