25.11.05
तिरुक्कुरळ
करैकुडि के ऍमजी व्यङ्कटकृष्णन ने 1966 में इनका तमिळ से अनुवाद किया था। बहुत से अध्याय हैं। धर्म काण्ड, अर्थ काण्ड और काम काण्ड।
लेकिन इसके बजाय यदि आप झारखण्ड से निर्दलीय चुनाव लड़ने वालों के नाम जानना चाहते हों तो वो भी मिल जाएँगे। अरे बड़ा धाँसू स्थल बनाया है चुनाव आयोग वालों ने। काम इसपे सीऍमसी ने किया है जिसका मालिक अब टीसीऍस है। कौन कहता है आईटी कम्पनियाँ हिन्दुस्तान के लिए कुछ करती नहीं हैं? नोट बिछाओ, तो सब कुछ करने को तैयार हैं।
और चुनाव के बाद राजस्थान विधान सभा के सूचीबद्ध प्रश्नों का जायका भी ले लिया जाए।
2 टिप्पणियां:
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मैं एक उत्साहवर्धक ट्रेन्ड दे रहा हूँ | सरकारी पन्ने अब यूनिकोडित हिन्दी में ही आ रहे हैं | शुरू में ऐसा नही था |
जवाब देंहटाएंसो तो है।
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