31.1.09

जावा में हिन्दी चलती है

हाँ भई हाँ।

 

public class Welcome {

      public static void main(String[] args) {

            String[] स्वागत = new String[3];

            स्वागत[0] = "जावा में आपका स्वागत है!";

            स्वागत[1] = "आलोक द्वारा";

            स्वागत[2] = "हिन्दी में";

            for (int i = 0; i < स्वागत.length; ++i)

            {

                  System.out.println(स्वागत[i]);

            }

      }

}

 

पर थोड़े से घच्चे हैं, मैंने int i के बदले int क करने की कोशिश की तो इक्लिप्स बैठ गया। शायद यह इक्लिप्स की त्रुटि हो। इसके अलावा क्लास का नाम Welcome के बजाय स्वागतम् करने पर भी दिक्कत आई। खोजबीन जारी है।

29.1.09

ऑन्लाइन समुदायों में बद्तमीज़ी - कारण और निदान

मेरी एक प्रिय मित्र किरण के साथ इस बारे में पहले भी बात हो चुकी थी, मैं हिंदी की दुनिया में इस से परेशान था और वह तेलुगु में। तो अंततः किरण के अनुरोध पर लिख रहा हूँ, हो सकता है औरों के भी काम में यह आए। अफ़सोस कि मेरी तेलुगु इतनी अच्छी नहीं है इसलिए हिंदी में ही लिख रहा हूँ।

 

इस लेख का प्रारूप एक सवाल जवाब के तौर पर है, तो पढ़िए और फिर अपने विचार भी सामने रखिए।

 

मेरा एक चिट्ठा है और उस पर मैं जब भी कुछ लिखता हूँ तो लोग बेहूदी, गंदी टिप्पणियाँ करते हैं। मन करता है कि अपना चिट्ठा बंद कर दूँ। क्या करूँ?

 

आपकी समस्य बहुत आम समस्या है, पर घबराइए नहीं इसका निदान है। सबसे पहले यह देखिए कि क्या आपने जो लिखा है वह आपत्तिजनक तो नहीं? क्या उसमें कोई ऐसी चीज़ है जो आप किसी के घर की बैठक में बैठ के नहीं बोल सकेंगे? यह हुई पहली बात।

 

दूसरी बात, आपके विचारों पर टिप्पणी हो रही है या आप पर? दोनो में फ़र्क करें। केवल विचारों पर की टिप्पणी पर ध्यान दें और आप के ऊपर की टिप्पणी को नज़रंदाज़ करें। यह भी ध्यान दें कि आपके विचारों से असहमति का मतलब यह नहीं है कि आपके साथ बदतमीज़ी की जा रही है। तर्कों और ठोस जानकारी के आधार पर अपने विचारों और विपरीत विचारों की तुलना करके प्रतिक्रिया करें। आप पाएँगे कि "लिखना छोड़ देता हूँ" जैसे विचार आपके पास आने कम हो जाएँगे और लोगों की प्रतिक्रियाओं का आप स्वागत करना शुरू कर देंगे।

 

तीसरी बात, अपने पाठकों को आदरपूर्वक कहिए कि टिप्पणियाँ यह सोच के करें कि आप मेरे घर की बैठक में मुझसे मिलने आए हैं और बात कर रहे हैं। आप पाएँगे कि बेहूदी टिप्पणियों की संख्या ८० फ़ीसदी कम हो गई है।

 

 

मैं एक डाक सूची का सदस्य हूँ और वहाँ पर मैं जब भी कोई सवाल पूछता हूँ तो लोग मेरा मज़ाक उड़ाते हैं। क्या करूँ?

 

तो उड़ाने दें। उन्हें धन्यवाद दें, और कहें कि मुझे अपने सवाल का जवाब अभी भी नहीं मिला है, यदि कोई और दे सकता है तो कृपा होगी। आप पाएँगे कि धीरे धीरे डाक सूची का माहौल बदल गया है।

 

मेरी डाक सूची हिंदी/तेलुगु में है पर लोग अंग्रेज़ी में लिखते हैं। ज़रूरी नहीं कि सबको अंग्रेज़ी समझ आए। ऐसे लोगों पर मुझे बहुत गुस्सा आता है। क्या करूँ?

 

ऐसे लेखों को नज़रंदाज़ कर दें। कुछ लोग दुनिया में अब भी ऐसे हैं जो समझते हैं कि हिंदी या तेलुगु में लिख कर वे दुनिया पर अहसान कर रहे हैं और अंग्रेज़ी सबको आती है, नज़रंदाज़ करना ही सबसे सरल तरीका है। साथ ही प्रत्येक अंग्रेज़ी में लिखे संदेश के एवज में आप दो चार संदेश तेलुगु/हिंदी में भेजें। यही आपका प्रतिशोध है।

 

मैं एक ऑन्लाइन समुदाय (मंच, संकलक, डाक सूची) का संचालक हूँ। मुझे ऐसा लगता है कि कुछ लोग सिर्फ़ लड़ाई करने, गाली गलौज करने ही जाल पर आते हैं। क्या किया जाए?

 

ऐसे लोगों को किसी अच्छे कार्य में लगाने के लिए प्रेरित करें, जैसे कि अनुवाद कार्य, विकिपीडिया में योगदान या किसी बड़ी पुस्तक आदि को ऑन्लाइन प्रकाशित करना। इस प्रकार का व्यवहार यही दर्शाता है कि लोगों को दूसरों के साथ मिल-जुल कर ही संतुष्टि मिलती है, फिर उसके लिए गाली ही क्यों न देनी पड़े। इस संतुष्टि को दूसरी तरह से प्रदान करें, ताकि लोगों को अपने कार्यों से संतुष्टि मिले। इसका एक  बहुत अच्छा उदाहरण है तमिळ ऑन्लाइन जगत् जिसने बहुत  अच्छे अच्छे काम किए हैं। यह भी सोचिए कि आप खुद किसलिए अंतर्जाल पर आते हैं। क्या आपके सामने कोई लक्ष्य हैं?

 

 

 

बस इतना ही। आशा है तेलुगु अनुवाद सरलता से हो जाएगा। अब हम होते हैं नौ दो ग्यारह। आपको कुछ और जोड़ना हो तो टिप्पणियों में कहिएगा। शब्बा खैर।

25.1.09

आज की कारस्तानियाँ

आज के दिन मैं नौ दो ग्यारह होने से पहले यह सब करते हुए धरा गया -
  • 12:14 ऑन्लाइन फ़्लो चार्ट बनाने की कोशिश कर रहा हूँ #
यह सेवा पेश की है लाउडट्विटर ने, उनको धन्यवाद।

24.1.09

आज की कारस्तानियाँ

आज के दिन मैं नौ दो ग्यारह होने से पहले यह सब करते हुए धरा गया -
  • 15:39 अंगूर खा रहा हूँ, हरे और काले #
यह सेवा पेश की है लाउडट्विटर ने, उनको धन्यवाद।

हाई फ़ाइव वाले हिंदी में शुरू

वैसे तो इन हाई-फ़ाइव वालों से मैं बहुत परेशान ही हूँ क्योंकि जान न पहचान वाले हिसाब से खाता खोलने के संदेसे आते रहते हैं, लेकिन आज तो गज़ब हो गया, जब हिंदी में संदेसा आया -

तो पता चला कि इन्होंने वाकई सब कुछ हिंदी में कर रखा है। मज़ा आ गया।

19.1.09

यूँ खत्म हुई चालान की कहानी

एक महीने पहले कटे चालान का सिलसिला आज खत्म हुआ।

 

यूँ गुज़रा यह खात्मा –

 

१.       तारीख थी १७ जनवरी २००९ की – शनिवार की – शनिवार को कचहरी गया तो कहा कि सोमवार को आओ। पेट्रोल फुँका।

२.      आज, यानी सोमवार, सुबह दस बजे कचहरी पहुँच गया। चालान की पर्ची मुझसे ले ली गई। कहा बारह बजे आओ।

३.      बारह बजे एक जगह दस्तखत करने को कहा गया। कर दिया।

४.      १२२० पर मैजिस्ट्रेट ने बुलाया और सौ रुपए का जुर्माना लिया।

५.     १२२५ पर दस्तावेज़ वापस मिल गए। कहानी खत्म।

 

मेरा कुल खर्चा –

१.       पैसे – १०० रुपए, और दो बार कचहरी आना जाना – कुल २२० रुपए।

२.      वक़्त – ४ घंटे।

 

सरकार का खर्चा –

१.       एक अदद पुलिसवाले द्वारा चालान की पर्ची अदालत भेजना – कुछ ३० मिनट।

२.      एक अदद क्लर्क द्वारा चालान की पर्ची को एक किताब में दर्ज करना – कुछ ३० मिनट ।

३.      एक अदद मैजिस्ट्रेट द्वारा सुनवाई – कुछ १० मिनट।

४.      एक अदद क्लर्क द्वारा गाड़ी के दस्तावेज़ वापस करना – कुछ १५ मिनट।

५.     आमदनी – सौ रुपए।

 

 

मुझे तो गुनाह की सज़ा मिलनी ही चाहिए थी, पर सरकार फालतू में पिस गई।

 

वैसे कचहरी में इत्ता सारा कागज़ देख के वहाँ से फ़टाफ़ट नौ दो ग्यारह होने का मन कर रहा था।

 

अंत भला सो भला।

18.1.09

आज की कारस्तानियाँ

आज के दिन मैं नौ दो ग्यारह होने से पहले यह सब करते हुए धरा गया -
  • 14:38 वाहियात फ़िल्म - रब ने बना दी जोड़ी #
यह सेवा पेश की है लाउडट्विटर ने, उनको धन्यवाद।

17.1.09

आज की कारस्तानियाँ

आज के दिन मैं नौ दो ग्यारह होने से पहले यह सब करते हुए धरा गया -
  • 00:28 खूब खाया #
  • 09:01 कचहरी जाने की तैयारी #
  • 09:12 न, फ़ोन से नहीं चलता #
यह सेवा पेश की है लाउडट्विटर ने, उनको धन्यवाद।

9.1.09

आज के दस सत्य

  1. मैं अपनी कंपनी में सौ रुपए लगाता हूँ तो ३ रुपए फ़ायदा होता है। जबकि बैंक में पैसा जमा कराऊँ तो भी कम से कम ६ फ़ीसदी तो मिलेगा ही मिलेगा। मैं महान हूँ जो इतने कम फ़ायदे - बल्कि घाटे - पर ५२ हज़ार लोगों को नौकरी दे रहा हूँ।
  2. मुझे पता था कि मेरे इस्तीफ़े के बाद मेरी कंपनी के शेयर पिटेंगे लेकिन फिर भी मैंने अपने बेटे से कहा कि पुत्र, कुछ फ़ायदा मत कमाना। अब वह मेरी बात न माने तो मैं क्या करूँ। लेकिन जिन नौकरों को मैंने शेयर बाँटे थे उनकी वाट लगती है तो लगने दो।
  3. मेरे घर वालों, मेरी कंपनी के बोर्ड, किसी को भी नहीं पता कि यह सब चल रहा था। (मेरे वकील ने कहा था कि यह ज़रूर बोलना)
  4. पिछले जितने सालों में जब भी मेरी कंपनी के शेयर ऊपर उठे, मैंने या मेरे परिवार ने कभी भी कोई फ़ायदा नहीं कमाया। (सब दान दे दिया था)
  5. मैं एक आलीशान घर में रहता हूँ जिसके चारों ओर दस फ़ुट ऊँची दीवार है (पैतृक संपत्ति है)।
  6. मेरे बाप के पास भी काफ़ी पैसा था और मेरे पास भी है, मेरी बिरादरी वालों को पास भी। सभी नेताओं के साथ मेरी दोस्ती है। सही समय पर सही झूठ बोल के जब तेलगी जैसे बच सकते हैं तो मैं क्यों नहीं।
  7. अगर यही काम मेरे दफ़्तर में काम करने वाला करता तो उसे एक ही दिन में लात मार के बाहर निकाल देता, भले ही उसने कितने घंटों दिन रात मेरे लिए पैसा पैदा करने के लिए काम किया हो। (एक खोजो दस मिलेंगे)
  8. यह कंपनी मेरी है, बाकी सब मेरे नौकर और कुत्ते हैं जो मेरे आगे पीछे दुम हिलाते हैं। उनके पदों पर मत जाइए, वह सब क़ानूनन करना पड़ता है। है तो वह नौकर ही, किसी और के हाथ लगाब-चाबुक देने मैं मुनासिब नहीं समझता, अपना काम करें, और पैसे ले के घर जाएँ। (कंपनी डूब गई तो खेती बाड़ी है ही)
  9. कुछ ठेके मैंने अमरीका में लिए हुए हैं, पर मैं अमरीका नहीं जाऊँगा क्योंकि वहाँ गया तो कुछ दो तीन सौ साल की जेल हो जाएगी। हाँ यहाँ रह कर सब जुगाड़ हो जाएँगे। भूखी नंगी जनता तो मेरे पास नौकरी के लिए आएगी ही।
  10. ठेके लेने के लिए मैं रिश्वत भी देता हूँ और लोगों को अपनी कंपनी के शेयर भी मुफ़्त में बाँटता हूँ।

मतलब मैं तो वही सब करता हूँ जो हिंदुस्तान के सभी धंधेबाज़ करते हैं, फिर पता नहीं मेरे शेयर ही क्यों पिट रहे हैं? लगता है यहाँ कलियुग पूरी तरह आया नहीं है।

सत्य वचन!

३९ के भाव पे उठा लिया है, कल मोहर्रम की वजह से बाज़ार बंद थे, आज देखते हैं क्या होता है।

6.1.09

सर्वेक्षण

बड़े दिनों से तमन्ना थी कि कोई अपने से भी सवाल जवाब करे। तो यही मान लेते हैं कि अपना साक्षात्कार हो रहा है।

 

  1. आपका पूरा नाम*

आलोक कुमार

 

  1. ईमेल पता (प्रकाशित नहीं किया जायेगा)*

ठीक है प्रकाशित नहीं कर रहे(मन ही मन बोल दिया)

 

  1. आपके ब्लॉग/website का पता –

यही वाला है, यही जहाँ आप अभी खड़े हैं

 

  1. आपने किस वर्ष ब्लॉगिंग प्रारंभ किया?

२००४ में शायद, या २००३ में।

 

  1. हिन्दी ब्लॉग आप किस तरह पढ़ते हैं? *
    *
    गूगल रीडर या ब्लॉगलाइंस जैसे न्यूज़रीडर द्वारा
    *
    ईमेल सब्सक्रिप्शन द्वारा
    *
    नारद-ब्लॉगवाणी-चिट्ठाजगत जैसे चिट्ठासंकलकों पर
    *
    सीधे पसंदीदा ब्लॉग पर जाकर

हम पढ़ते हैं अपने चक्षुओ से। यानी आँखों से।

  1. हिन्दी ब्लॉग आप किस तरह लिखते हैं? *

हम खुद ही लिखते हैं किसी से लिखवाते नहीं हैं।

 

  1. कृपया तकनीक व औजार का नाम लिखें। मसलन कॉपी पेस्ट, IME , विंडोज़ लाईव राईटर आदि – आदि।

कंप्यूटर, लैप्टॉप, मोबाइल फ़ोन

 

  1. हिन्दी लिखने के लिये आप किस कुंजीपटल या कीबोर्ड स्कीम का प्रयोग करते हैं? *  -
    मसलन रेमिंगटन, फोनेटिक, इंस्क्रिप्ट वगैरह

इंस्क्रिप्ट

  1. हिन्दी लिखने के लिये आप किस कुंजीपटल या कीबोर्ड स्कीम का प्रयोग करते हैं? * मसलन रेमिंगटन, फोनेटिक, इंस्क्रिप्ट वगैरह

यार पूछ तो लिया एक बार कितनी बार बताएँ

  1. हिन्दी ब्लॉगजगत की २००८ में कौन सी तीन प्रमुख उपलब्धियाँ रहीं?

इत्ता कौन याद रखेगा। रही होंगी कुछ, गूगल में देख लो।

 

  1. २००८ में हिन्दी ब्लॉगजगत में मुख्यतः किन विषयों पर आवश्यक्ता व अपेक्षा से अधिक लिखा गया?

पहले तो आवश्यक्ता नहीं आवश्यकता होता है। यानी आपका सवाल है कि २००८ में हिंदी ब्लॉगजगत में मुख्यतः किन विषयों पर आवश्यकता व अपेक्षा से अधिक लिखा गया। मेरी राय में हिंदी में लिखा कुछ भी कम ही है। तो किसी भी विषय पर नहीं।

 

  1. २००८ में हिन्दी ब्लॉगजगत में मुख्यतः किन विषयों पर पर आवश्यक्ता व अपेक्षा से कम लिखा गया?

फिर वही आवश्यक्ता। ज़रूरत ही बोल लो। कम लिखा गया पुरुषों के अधिकारों और ज़िंदा रहने के लिए अंग्रेज़ी के महत्व के बारे में

 

  1. २००८ में हिन्दी ब्लॉगजगत में कौन से विवादास्पद मुद्दे रहे?

पता नहीं, गूगल भइया से पता कर लें

 

  1. २००८ में हिन्दी ब्लॉगजगत से आपकी सबसे पसंदीदा तीन पोस्ट शीर्षक व कड़ी –

इत्ता कौन याद रखे

 

  1. २००८ में हिन्दी ब्लॉगजगत से आपकी सबसे पसंदीदा तीन पोस्ट में से दूसरी पोस्ट का शीर्षक व कड़ी –

कित्ती बार पूछोगे

 

  1. २००८ में हिन्दी ब्लॉगजगत से आपकी सबसे पसंदीदा तीन पोस्ट में से तीसरी पोस्ट का शीर्षक व कड़ी –

अच्छा अब समझ आया पहली दूसरी तीसरी पूछ रहे हैं

 

  1. हिन्दी ब्लॉगजगत से आपके सबसे पसंदीदा तीन ब्लॉगरों में से पहला ब्लॉगर?

अब यह सवाल तो समझ नहीं आया। पहले पाँच ब्लॉगरों में से पहला पूछते तो कुछ अलग जवाब आता क्या?

 

  1. हिन्दी ब्लॉगजगत से आपके सबसे पसंदीदा तीन ब्लॉगरों में से दूसरा ब्लॉगर?

 

तीन में दूसरा – अब समझ आया पिछले सवाल का मतलब।

 

  1. हिन्दी ब्लॉगजगत से आपके सबसे पसंदीदा तीन ब्लॉगरों में से तीसरा ब्लॉगर?

अभी पहले पर अटके हैं, ये बताओ कुछ इनाम विनाम मिल रहा है क्या, तो अपना नाम दे दें।

 

  1. हिन्दी ब्लॉगजगत से आपके सबसे पसंदीदा तीन ब्लॉगरों में से तीसरा ब्लॉगर?

पूछ तो लिया है एक बार

 

  1. हिन्दी ब्लॉगजगत से आपके सबसे पसंदीदा सेलिब्रिटी (रवीश कुमार, पुण्य प्रसून व मनोज बाजपेयी जैसे नाम) ब्लॉगर?

पुण्य प्रसून कौन है?

 

  1. अंग्रेज़ी या अन्य भाषाई चिट्ठामंडलों की तुलना हिन्दी चिट्ठाजगत से कैसे करना चाहेंगें?

नहीं करना चाहेंगे

 

  1. हिन्दी ब्लॉगजगत की दशा व दिशा के बारे में आपके विचार क्या हैं?

इतिहास किस्म के सवाल हम गोल करते हैं, गणित वाले हाँ ना वाले पूछो।

 

  1. आपको किन विषयों पर लिखे हिन्दी चिट्ठे पसंद हैं?

वही कामाग्नि, वासना, मस्तराम वगैरह वगैरह

 

  1. हिन्दी में प्रोफ़ेशनल ब्लॉगिंग यानि कमाई की क्या कोई संभावनाएँ दिखाई देती हैं?

संभावनाएँ हैं विषय सही होना चाहिए – ऊपर देखें

 

  1. हिन्दी ब्लॉगिंग की राह में क्या प्रमुख कठिनाईयाँ हैं?

क्या हिंदी में लिखने वाले अपने आप पर हँस सकते हैं? अपने ऊपर किए मज़ाक को हँस के टाल सकते हैं? अगर नहीं तो यही कठिनाई है और कुछ नहीं

 

  1. आप कुछ और कहना चाहें तो.

यह मौका देने का बहुत शुक्रिया। कितने सालों का अरमान पूरा हुआ। अब हम होते हैं नौ दो ग्यारह।

 

5.1.09

पुस्तकम् डॉट नेट

है तो तेलुगु में किताबों की समीक्षा, शायद ये कुछ समय बाद हिंदी में भी कर दें। हाँ इतना पता चल रहा है कि बात क्या हो रही है हैदराबाद के आईx3 टी की छात्रा ने बनाया है इसे।

4.1.09

अहो भाग्य

अपने गाँव ढकोली वाले घर में लग गया ब्रॉडबैंड आज के दिन। मज़ा आ गया। अब इस बहुमूल्य बैंडविड्थ रूपी पेट्रोल को मैं भी यूट्यूब, ट्विटर, चिट्ठाचर्चा, चिट्ठाजगत यानी ऑन्लाइन मटरगश्ती में बरबाद कर सकता हूँ।

अहो भाग्य हमारे कि भारत के उन पचास लाख सौभाग्यशालियों में शामिल हुए।