तकनीक लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
तकनीक लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

17.12.12

देवनागरी.नेट दिखने के बजाय उतर रहा है

देवनागरी.नेट फ़िलहाल दिखने के बजाय उतर रहा है, समस्या का मूल कारण मिल गया है, पर ठीक करने में थोड़ा समय लगेगा।

एक नए सेब पर काम कर रहा हूँ, और इसमें सी कंपाइलर डालने के लिए एक्सकोड लगता है जो कि खुद अपने आप में डेढ़ जीबी का दैत्य है।

देर सबेर एक लिनक्स लगाना ही पड़ेगा। तब तक के लिए होता हूँ नौ दो ग्यारह।

19.1.10

गूगल आयो - में जायो?

अब सवाल यह है कि गूगल आयो में जायो कि नहीं।

पंजीकरण का खर्चा है २०,००० रुपए, और हो रहा है यह हो रहा है सैन फ़्रांसिस्को में, यानी आने जाने और रहने का खर्चा अलग।

सोचना पड़ेगा। वह भी १६ अप्रैल के पहले। इसलिए अब होते हैं नौ दो ग्यारह।

18.1.10

बीएसएनएल के एक ब्रॉडबैंड से कई कंप्यूटर / लैपटॉप जोड़ें

पिछले ७ दिनों से मैं ऑन्लाइन गरीबी रेखा के नीचे लोट रहा था।

हुआ क्या था?

शक तो यह है कि किसी महानुभाव ने मेरे खाते का कूटशब्द बदल दिया था - पर यह सिर्फ़ शक ही है। खैर सब कुछ कर करा के काम शुरू तो हो गया लेकिन बेतार वाला काम फिर भी चालू नहीं हो रहा था। आज जा के सब कुछ ठीक हुआ है तो यह है कुछ जानकारी, शायद किसी और के काम भी आए, निश्चित रूप से मेरे काम तो आएगी ही।

यह सब बीएसएनएल के ब्रॉडबैंड और WA3002G4 मॉडॅम के निर्देश हैं।

  1. मॉडम चालू कर दें और तार से कंप्यूटर को जोड़ दें।
  2. अब http://192.168.1.1 पर जाएँ, ब्राउज़र के जरिए
  3. यहाँ पर कूटशब्द माँगा जाएगा, जो आमतौर पर प्रयोक्ता नाम ही होता है। इसे बदल देना चाहिए - सुरक्षा की दृष्टि से। खैर आगे बढ़ेंगे तो आपको ऐसा कुछ दिखेगा - ब्रॉडबैंड-१
  4. इसके बाद, Advanced Setup | WAN में जा के पहली कतार के Edit पर चटका लगाएँ।
  5. यहाँ पर दें -
    • वीपीआई - ०
    • वीसीआई - ३५
    • एनेबल वीलॅन टॅगिंग - खाली छोड़ें
    • सर्विस कैटेगरी - यूबीआर विदाउट पीसीआर
    ब्रॉडबैंड-३ और आगे बढ़ें।
  6. अब, अगले पन्ने पर यह जानकारी दें -
    • कनेक्शन टाइप - पीपीपीओई
    • एन्कैप्सुलेशन मोड - एलएलसी/स्नैप-ब्रिजिंग
    ब्रॉडबैंड-४"/ और फिर आगे बढ़ें।
  7. अगले पन्ने पर यह जानकारी दें -
    • पीपीपी यूज़रनेम - अपना बीएसएऩएल प्रयोक्ता नाम डालें - बिना @bsnl.in के केवल अगला हिस्सा
    • पीपीपी पासवर्ड - अपना बीएसएनएल कूटशब्द डालें - ध्यान दें, आपको अपने राउटर का कूटशब्द भी बदल के रखना चाहिए वरना अगर किसी के हाथ राउटर लग गया तो उसके पास आपका बीएसएनएल कूटशब्द भी है!
    • ऑथेंटिकेशन मेथड - में AUTO रखें।
    • बाकी सब खाली छोड़ दें।
    ब्रॉडबैंड-५ फिर आगे बढ़ें।
  8. अगले पन्ने पर,
    • एनेबल नैट - पर सही का निशान लगाएँ
    • एनेबल फ़ायरवाल - पर सही का निशान लगाएँ
    • एनेबल आईजीएमपी मल्टीकास्ट - पर सही का निशान लगाएँ
    • एनेबल वैन सर्विस - पर सही का निशान लगाएँ
    • सर्विस नेम - pppoe_0_35_1 - या कुछ भी और चाहें तो रख सकते हैं।
    ब्रॉडबैंड-६ यह करने के बाद जमाव सँजो लें।
  9. अब अपने मॉडेम को रिबूट कर लें - यह ब्राउज़र से किया जा सकता है। बाईं पट्टी में अंतिम विकल्प यही है।
  10. अगर आप विंडोज़ एक्स पी पर हैं तो अपनी मशीन पर "शो ऑल कनेक्शंस" कर के लैन और ब्रिज को एक साथ चुनें (कंट्रोल दबाए रखें और दोनों पर एक एक कर के चटका लगाएँ। फिर दाँया चटका मार के ब्रिज का विकल्प चुनें। और फिर मशीन को भी रिबूट कर डालें। अगर आप सेब पर हैं तो यह सब करने की ज़रूरत नहीं है।

बस हो गया! अब, जब आपका मॉडम फिर से चालू होगा तो उसमें चार बत्तियाँ जलेंगी - एक लाल - बाईं तरफ़ - पॉवर की, फिर नारंगी-पीली - एडीएसएल सिग्नल की, फिर तीसरी हरी - इंटर्नेट की (यह आपका कूटशब्द इस्तेमाल करके जुड़ेगा और फिर हरा होगा) और आखिरी लैन की। और आप किसी भी कंप्यूटर के जरिए बेतार से इससे जुड़ सकते हैं। मॉडम चालू होने के ३-४ सेकिंड बाद वह खुद ही जाल से जुड़ जाएगा और अन्य कंप्यूटरों को अपने आप ही 192.168.1.* के तहत आईपी भी पकड़ा देगा।

उम्मीद है दाल चावल अगल कर लेंगे। कोई दिक्कत हो तो टिपियाएँ।

हम होते हैं नौ दो ग्यारह।

15.11.09

सेब पर मलयालम

पहले कुछ इतिहास। सेब का इस्तेमाल करने वालों को अमूमन बंगाली, मलयालम, कन्नड़ अक्षरों के बजाय डब्बे ही दिखते हैं - कम से कम सेब १०.४ तक तो। आइए देखते हैं मुद्रलिपियों का कुछ इतिहास -

  1. मुद्रलिपियों की दुनिया में ट्रू-टाइप (टीटीऍफ़) का विकास सेब वालों ने किया था। इसे इस्तेमाल करने की इजाज़त माइक्रोसॉफ़्ट - विंडोज़ वालों - ने भी सेब वालों से ली।
  2. टाइप १ (पोस्ट स्क्रिप्ट) प्रारूप की मुद्रलिपियों का विकास अडोब बालों ने किया (वही पीडीएफ़ पाठक वाले)।
लेकिन सभी लिपियों के लिए उन्नत प्रदर्शन - खासतौर पर अरबी और भारतीय भाषाओं की लिपियों के लिए - ट्रूटाइप और पोस्ट स्क्रिप्ट पर्याप्त नहीं थे - टूटी मात्राओं वाली पुरानी मुद्रलिपियों से तो हम वाकिफ़ हैं ही। अतः कुछ समय बाद माइक्रोसॉफ़्ट ने सेब वालों की नई तकनीक - जीएक्स टाइपोग्राफ़ी - में साझेदारी करने की कोशिश की - लेकिन बातचीत ने सफल होने से पहले ही दम तोड़ दिया।
नतीजा यह हुआ कि माइक्रोसॉफ़्ट और अडोब ने पहले अलग अलग और फिर मिल के अपनी तकनीक को प्रोत्साहन दिया, उसे ट्रूटाइप ओपन - या ओपन टाइप कहा जाता था। आज की तारीख में आप जो रघु, मंगल, संस्कृत २००३, सुरेख आदि मुद्रलिपियों का इस्तेमाल करते हैं वे ओपन टाइप ही हैं। ये या तो .टीटीएफ़ होती हैं या .ओटीएफ़।
कुछ समय बाद माइक्रोसॉफ़्ट और अडोब ने ओपन टाइप को खुला मानक बनाने की पहल की - यानी केवल वे दो ही नहीं अपितु कोई भी उस मानक के आधार पर मुद्रलिपि बना सकता है और मान के आधार पर कोई भी संगठन मुद्रलिपि पर सही की मोहर लगा सकता है - इसके लिए केवल इन दो कंपनियों का मोहताज रहने की ज़रूरत नहीं।
नतीजा यह कि ओपनटाइप मुद्रलिपियों की बाढ़ सी आ गई। ध्यान दें कि केवल देवनागरी ही नहीं बल्कि रोमन में भी कई बेहतर किस्म के संयुक्ताक्षर - जैसे कि हस्तलेखन वाली मुद्रलिपियाँ - ओपनटाइप के जरिए बनाई जा सकती हैं।
लेकिन अब सेब वाले कहाँ रह गए? भई उनकी तकनीक तो उन्नत थी ही - शायद अब भी ओपनटाइप से बेहतर हो - जीएक्स टाइपोग्राफ़ी - जिसकी मालिकियत सेब के पास थी - अब तक एएटी - एप्पल एड्वांस्ड टाइपोग्राफ़ी - बन चुकी थी, और यह भी देवनागरी, अरबी संयुक्ताक्षर आदि प्रदर्शित करने की क्षमता रखती थी -लेकिन अब दो "मानक" हो गए - एक सेब का अपना - जो सिर्फ़ सेब पर ही चलता - और दूसरा ओपन टाइप - जिसका मुक्त मानक था, यह विंडोज़, लिनक्स आदि पर बखूबी चल रहा था।
यानी, जब तक आपके पास सेब के लिए एएटी वाली मुद्रलिपि न हो आपको देवनागरी/अरबी /मलयालम ठीक से नहीं दिखेगी।
इतिहास का पाठ समाप्त हुआ, अब वर्तमान में आते हैं।

अब अगर आपकी न सेब में दिलचस्पी हो और न ही मलयालम में फिर भी यह जानकारी काम की है।

काम की इसलिए कि मॅकमलयालम वालों ने विंडोज़लिनक्स पर चलने वाली ओपनटाइप मुद्रलिपियों को सेब पर चलाने के लिए परिवर्तित करने में सफलता पाई है।

इसीलिए तो लिनक्स और विंडोज़ वाली मलयालम मुद्रलिपियों में से एक, रचना मलयालम, अब सेब की आत्सुई (एटीएसयूई) - ऍप्प्ल टाइपोग्राफ़ी सर्विसेज़ फॉर यूनिकोड इमेजिंग में भी उपलब्ध है।

अर्थात् सरल शब्दों में - देवनागरी की यूनिकोडित मुद्रलिपियों को सेब में इस्तेमाल करने के लिए रास्ता साफ़ है। अब हम होते हैं नौ दो ग्यारह।

अगर आपके पास सेब है और मलयालम में भी दिलचस्पी है तो मॅकमलयालम का आनंद उठाएँ। अगर आप अपने विचरक की मलयालम जाँचना चाहें तो विकिपीडिया या ट्विटर के मलयालम हिस्सों को देख कर जाँचें।

कुछ भविष्य के बारे में।

सेब वाले भी अब धीरे धीरे ओपनटाइप को अपना रहे हैं। सेब १०.५ में अरबी प्रदर्शन के लिए ओपन टाइप मुद्रलिपियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। संभव है कि सेब वाले कुछ मामलों में सीधे ओपन टाइप का ही इस्तेमाल करना पसंद करें - क्योंकि यह अब पका पकाया माल है, और इतनी सारी मुद्रलिपियाँ ओपन टाइप की पहले ही हैं।

दूसरी बात यह - जो वर्तमान के संदर्भ में कही - ओपन टाइप मुद्रलिपियों को एएटी में परिवर्तित करने का मार्ग प्रशस्त है - जैसे कि इस मलयालम मुद्रलिपि में। इसका भी लाभ सेब के प्रयोक्ता उठा पाएँगे।

सीख यह - उन्नत तकनीक पैदा करो, और फिर सही समय तक कमाई करने के बाद - दुह लेने के बाद उसे मानक बनने के लिए खुला छोड़ दो। नहीं छोड़ोगे तो कोई और बाजी मार ले सकता है। हमारी भारत सरकार ने इस्की के जरिए एक-बाइटीय उन्नत मुद्रलिपियाँ तो पैदा कीं, लेकिन उसे मुक्त मानक न बनाया - इससे भारतीय भाषाओं का संगणन आराम से १०-१५ साल पीछे हो गया - जब तक यूनिकोड न आया तब तक हमें अपने बिल में छिपा ही रहना पड़ा - पर चुगे हुए खेत का रोना न रोते हुए हम नौ दो ग्यारह होते हैं।

22.10.09

विकिस्रोत वालों की पीडीएफ़ में पंगे

विकिपीडिया वालों का ही प्रकल्प है विकिस्रोत - जहाँ पर आप किसी भी किताब का स्रोत - यानी मसाला - डाल सकते हैं और फिर उसे पीडीएफ़ या ओपनऑफ़िस प्रारूप में उतार सकते हैं।

उनके पीडीएफ़ बनाने वाले तंत्रांश में देवनागरी संयुक्ताक्षर ठीक से नहीं बनते हैं। इसका ब्यौरा दिया था, अब शायद ठीक करने का काम शुरू हो गया है।

पंगा mwlib नाम की लाइब्रेरी में है।

बढ़िया है। आशा है यह त्रुटि शीघ्र ही नौ दो ग्यारह होगी।

1.10.09

गूगल ऐप इंजन का मुख पृष्ठ हिन्दी में

आज गूगल ऐप इंजन का पन्ना खोला तो पाया कि सत्रारंभ पृष्ठ हिन्दी में है। बढ़िया है। वैसे सत्रारंभ करने के बाद तो सब कुछ अंग्रेज़ी में ही आता है। गूगल ऐप इंजन वैसे यह ऐप इंजन है क्या? जैसे गूगल का ब्लॉग्स्पॉट है, वैसे ही ऐप्स्पॉट भी है। ब्लॉग्स्पॉट पर चिट्ठों में लेख लिखे जा सकते हैं, और ऐप्स्पॉट पर पाइथन या जावा नामक प्रोग्रामिंग भाषाओं के जरिए कुछ मज़ेदार चीज़ें बनाई जा सकती हैं, जैसे कि स्टिकी, या और भी ढेर सारे मज़ेदार या उपयोगी स्थल। और जानकारी के लिए गूगल कूट का ऐप इंजन स्थल बढ़िया है, लेकिन ये फ़िलहाल केवल अंग्रेज़ी, रूसी, स्पेनिश, चीनी, जापानी, कोरियाई, पुर्तगाली में ही उपलब्ध है, हिन्दी में नहीं। मेरे कुछ प्रिय स्थल हैं स्टिकी और मॉडरेटर, इसके अलावा ट्विटर संबंधी कई स्थल भी ऐप्स्पॉट पर उपलब्ध हैं।

12.8.09

ब्लैकबेरी में हिन्दी नहीं, काला बेर बना काला पत्थर

अपने अन्नदाता ने कुछ रोज़ पहले एक ब्लैकबेरी प्रदान किया है। काफ़ी दिलचस्प चीज़ है, जिसे दफ़्तर में काम नहीं करना सिर्फ़ चौधराहट ही दिखानी है उसके लिए दफ़्तर से कम नहीं है। लेकिन इसमें एक ही दिक्कत है - फ़ोन में हिन्दी प्रदर्शन के एवज में सिर्फ़ काले डब्बे दिखते हैं! इस लिहाज़ से देखा जाए तो आपने लिए यह काला बेर काले पत्थर के बराबर ही है।

चुनांचे मैं अपना नोकिया २६२६ भी रखा हुआ है ताकि चलते फ़िरते कतारों में खड़े शौक फ़रमाया जा सके। क्या करें, कुछ नवाबों को लौंडो का शौक होता है, और मेरे जैसे कुछ नाचीज़ किस्म के लोगों को कारखानों में बने सामान पर खड़खड़ाने का। देखा कि करुण वासुदेव कुछ खोजबीन कर रहे हैं इस बारे में। उम्मीद है नतीज़ा जल्द आएगा।

6.8.09

यूट्यूब अब हिन्दी में

ताज़ी खबर है कि गूगल का यूट्यूब अब हिन्दी में भी है।

यूट्यूब-हिन्दी

उदाहरण के लिए, चंडीगढ़ से संबंधित वीडियो पाने के लिए आप जब यूट्यूब पर चंडीगढ़ की खोज करेंगे, तो आपको परिणाम हिन्दी में दिखेंगे -

यूट्यूब-चंडीगढ़

अगर आपको यूट्यूब हिन्दी में न दिख रहा हो तो यूट्यूब के पते के आगे "?hl=hi" लगा दें, ऐसे:

http://youtube.com?hl=hi

तो देखिए मस्त गाना यूट्यूब पर, हम होते हैं नौ दो ग्यारह!

27.7.09

अहा, जियोसिटीज़, और लिनक्स परिचय, और ब्लॉगर

जियोसिटीज़ वालों से संदेसा आया कि बंद होने वाला है। जो इसके बारे में नहीं जानते हैं बस इतना ही समझ लें कि यह अपने ज़माने का ब्लॉग्स्पॉट था। अंतर्जाल पर मेरा सबसे पहला स्थल जियोसिटीज़ पर ही था।

बंद तो होने वाला है, साथ ही कुछ दिन पहले रवि रतलामी जी ने अपनी लिनक्स की किताब के संबंध में लिनक्स परिचय के बारे में पूछा तो ध्यान आया कि यह भी तो जियोसिटीज़ पर ही है। इसे भी सितंबर २००९ के पहले कहीं और सरकाना होगा।

वैसे लिनक्स परिचय एक स्वयंसेवी अनुवाद कार्यक्रम है, आप भी इसमें शामिल हो सकते हैं। आज के दिन यह पन्ना पूर्ण किया, काफ़ी समय से आधा अनुवादित था। अनुवाद संबंधी त्रुटियाँ अवश्य जानकारी में लाएँ, अग्रिम आभाऱ।

वैसे सोचता हूँ कि जियोसिटीज़ ऑर ब्लॉग्स्पॉट में एक वाक्य में फ़र्क बताना हो तो कैसे बताएँ? शायद ऐसे, कि जियोसिटीज़ में आदान प्रदान की इकाई एक फ़ाइल थी, जबकि ब्लॉगर में यह इकाई एक लेख है।

अब हम होते हैं नौ दे ग्यारह, आज की असली दुनिया में घुसने से पहले तलवारें पैनी करनी हैं।

22.6.09

ऍज़्यूर की जानकारी तमिळ में

बिल्लू भाई तमिळ सीख चुके हैं! यह जालनाद अंग्रेज़ी और तमिळ दोनो में है। ज़्यादा नहीं आती है और इस पर काम भी नहीं करता हूँ पर कोशिश रहेगी कि इसे देख/सुन सकूँ। २२ जून २००९ को चार बजे शाम को।

अपने तमिळ भाइयों और उनकी भाभियों को बताना न भूलिएगा

धत्तेरेकी! साले ब्लॉगर.कॉम का हरकारा ऐन वक़्त पर नौ दो ग्यारह हो गया, इसे सही समय पर छापा ही नहीं। भाइयों और भाभियों को माफ़ी। अब खुद छाप रहा हूँ, पर उम्मीद है कि ऐसे मौके और भी आते रहेंगे।

18.6.09

सिल्पा

सिल्पा यानी संतोष तोट्टिङ्गल की स्वतंत्र इंडियन लैंग्वेज प्रोसेसिंग ऍप्लिकेशंस। बड़ा सोच समझ के सिल्पा नाम रखा है!

सारा माल पाइथन में हैं - साँप नहीं प्रोग्रामिंग भाषा पाइथन में। कोई नहीं, अपने को भी नहीं आती, पर आप और मैं यहाँ पर इसका परीक्षण कर सकते हैं जैसे कि क्रमांकन, लिप्यंतरण, भाषा अनुमानक और न जाने क्या क्या

और अगर कुछ सही न चलता दिखे तो नौ दो ग्यारह होने से पहले संतोष को डाक भेज दें। यही तो मकसद था बताने का! http://smc.org.in/silpa

31.5.09

अब से अपने नौ दो ग्यारह के लेख सीधे ट्विटर पर भी छपेंगे

यह सिर्फ़ देखने के लिए कि twitter.chitthajagat.in मेरे नए लेख @alok पर छाप पाता है कि वैसे ही नौ दो ग्यारह हो जाता है। हाँ आप तो यही कहेंगे कि इसी बहाने मैंने कुछ लिखा तो सही! पर कमी बहानों की है नहीं। पापी पेट का सवाल है।

24.1.09

हाई फ़ाइव वाले हिंदी में शुरू

वैसे तो इन हाई-फ़ाइव वालों से मैं बहुत परेशान ही हूँ क्योंकि जान न पहचान वाले हिसाब से खाता खोलने के संदेसे आते रहते हैं, लेकिन आज तो गज़ब हो गया, जब हिंदी में संदेसा आया -

तो पता चला कि इन्होंने वाकई सब कुछ हिंदी में कर रखा है। मज़ा आ गया।

4.1.09

अहो भाग्य

अपने गाँव ढकोली वाले घर में लग गया ब्रॉडबैंड आज के दिन। मज़ा आ गया। अब इस बहुमूल्य बैंडविड्थ रूपी पेट्रोल को मैं भी यूट्यूब, ट्विटर, चिट्ठाचर्चा, चिट्ठाजगत यानी ऑन्लाइन मटरगश्ती में बरबाद कर सकता हूँ।

अहो भाग्य हमारे कि भारत के उन पचास लाख सौभाग्यशालियों में शामिल हुए।

23.12.08

फ़ायर्फ़ाक्स में एक गड़बड़, पर सिर्फ़ सेब पर, मतदान करें

अगर आप यह पन्ना देखेंगे, तो शायद आपको ठीक दिख रहा हो, पर मुझे ऐसे दिख रहा है। बाईं तरफ़ सफ़ारी में और दाईं तरफ़ फ़ायर्फ़ाक्स में।

इसे ठीक करवाने के लिए फ़ायर्फ़ाक्स को ब्यौरा दे दिया है। आपसे अनुरोध है कि इस दिक्कत को जल्दी ठीक करवाने के लिए मतदान करें

मतदान करने के लिए

  1. https://bugzilla.mozilla.org/show_bug.cgi?id=470593 पर जाएँ
  2. वहाँ लिखे (vote) पर चटका लगाएँ
  3. अपना मत दर्ज करें
धन्यवाद!

आपको कोई और दिक्कत आई फ़ायर्फ़ाक्स पर?

21.12.08

आपने फॉ़यरफॉ़क्स के नवीनतम संस्करण से अद्यतन किया गया है.

हैं भई हैं, ये क्या है जी?

फ़ायर्फ़ाक्स तो चढ़ा लिया, लेकिन ये छोटे बच्चे की तरह क्या बिलबिला रहा है?

आपने फ़ॉयरफ़ॉक्स के नवीनतम संस्करण से अद्यतन किया गया गया है?
ये क्या बात हुई। शायद कहना चाहते थे कि
आपने फ़ायर्फ़ाक्स का अद्यतन कर नवीनतम संस्करण पा लिया है।

उसके बाद कहते हैं कि

आपके समय के लिए शुक्रिया!
हाँ, यह ठीक है, पर आमतौर पर लोग यह कहते हैं,
अपना समय देने के लिए शुक्रिया!

और तो और, यह लूमड़ यह भी कह रहा है,

इस बंद बटन पर इस टैब पर अपने होम पेज जाने के लिए क्लिक करें
शायद कहना चाहता था,
अपने मुखपृष्ठ पर जाने के लिए इस खाँचे को बंद करने वाली कुंजी पर चटका लगाएँ।

और यह कहते हैं,

हजारों विशेषज्ञों की दुनिया भर के समुदाय हर दिन आपकी ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में नवीनतम खतरों से लड़ने के लिए काम कर रहे हैं.
शायद यह कहना चाह रहे थे,
दुनिया भर के विशेषज्ञों के हज़ारों समुदाय हर दिन आपकी ऑन्लाइन सुरक्षा पर होने वाले नायाब हमलों से लड़ने की दिशा में काम कर रहे हैं।

और,

हमारे आरंभ करें पृष्ठ का भ्रमण करें यह जानने के लिए कि आप अपने फॉ़यरफॉ़क्स का अधिक से अधिक कैसे लाभ पा सकेंगे.
अंग्रेज़ी में यह अच्छा लगता पर हिंदी में यह बेहतर -
फ़ायर्फ़ाक्स का अधिक से अधिक लाभ पाने के बारे में जानने के लिए हमारे "आरंभ करें" वाले पन्ने पर जाएँ।

और रिलीज़ नोट्स यानी वितरण सूचना।

और सबसे बड़ी बात, फ़ायर के फ़ा का उच्चारण फ़ॉ नहीं होता है, इसलिए फ़ के ऊपर चंद्र नहीं होना चाहिए।

इस लोमड़ी के छोटे बच्चे के अभिभावक लूमड़ बाबा को सूचित कर दिया है। निश्चित रूप से वे और भी बेहतर बना सकेंगे अपने लूमड़ को, हम क्या चीज़ हैं।

आपकी राय?

20.12.08

फ़ायर्फ़ाक्स तो हिंदी में है ही, उसका मुखपृष्ठ भी।

अपनी पसंद की भाषा में फ़ायर्फ़ाक्स उतारिए, वह भी अपनी पसंद की भाषा के मुखपृष्ठ से!

  1. हिंदी, http://hi-in.www.mozilla.com/hi-IN/
  2. बंगाली, http://bn-in.www.mozilla.com/bn-IN/
  3. गुजराती, http://gu-in.www.mozilla.com/gu-IN/
  4. पंजाबी, http://pa-in.www.mozilla.com/pa-IN/
  5. सिंहली, http://si.www.mozilla.com/si/
है न मज़ेदार? इतना ही नहीं, हिंदी वाले क्रोम से http://firefox.com पर जाएँगे तो वह अपने आप हिंदी वाले स्थल की ओर ले जाएगा!

17.12.08

वर्तनी जाँचक और देवनागरी : स्वर / व्यंजन जो यूनिकोड में हैं पर संस्कृत में नहीं हैं

जब वर्तनी जाँचक के बजाय नुक्तों की बात छिड़ गई है तो आइए देखते हैं वह कौन से कूटबिंदु हैं जो यूनिकोड वाले देवनागरी के नाम पर मुहैय्या कराते हैं पर संस्कृत में प्रयुक्त देवनागरी वर्णमाला में नहीं हैं। (वास्तव में वर्तनी जाँचक के नज़रिए से देखें तो नुक्ता तो बहुत छोटा, अच्छी तरह परिभाषित मसला है, नुक्ता सहित जाँचें या बगैर - आसानी से किया जा सकता है - पर यह नीचे के ११ मसलों में से केवल एक ही है और सबसे आसानी से सुलझने वाला भी। )

  1. चंद्रबिंदु - जैसे कि चाँद में
  2. - यह स्वर मलयालम में बड़ा "ए" की तरह उच्चारित होता है। ध्यान दें यह ऐ (अ+इ सा उच्चारण), नहीं है। देवनागरी में केवल मलयालम आदि से लिप्यांतरण की सुविधा के लिए इसे शामिल किया गया है।
  3. - यह स्वर यूरोपियन भाषाओं के कुछ शब्दों को लिप्यंतरित करने के काम आता है जैसे, ऍक्लेयर, या ऍप्पल। ए का ए लंबा खींचने के बजाय ए और ऐ के बीच का स्वर।
  4. - जो ए के लिए ऍ है, वह आ के लिए ऑ है। जैसे कि ऑन, ऑफ़ आदि अंग्रेज़ी शब्दों के लिए।
  5. - यह भी मलयालम के बड़े ओ की तरह है, उच्चारण लंबे ओ की तरह होता है न कि औ(अ+उ) की तरह।
  6. ऩ य़ - यह न और य नहीं है, बल्कि तमिळ, मलयालम में एक और "न" और "य" होता है। इसका ठीक ठीक उच्चारण मुझे नहीं पता है लेकिन क्रमशः न और य जैसा ही होता है, मगर उनसे भिन्न।
  7. ऱ - यह मराठी में काम आता है जैसे कि दऱ्या जैसे शब्दों में।
  8. ऴ - यह ल, ळ की शृंखला में अगली कड़ी है। तमिळ, मलयालम में इसका प्रयोग होता है। मेरी जानकारी में, संस्कृत में इसका कोई समानोच्चारक नहीं है।
  9. क़ ख़ ग़ ज़ फ़ - नुक्तायुक्त शब्द। अरबी-फ़ारसी शब्दों के लिए।
  10. ड़ ढ़ - गाड़ी, बढ़ई
  11. ॻ ॼ ॽ ॾ ॿ - यह पाँच व्यंजन कश्मीरी और सिंधी में काम आते हैं। अगर आपको ये अपने पर्दे पर दिख नहीं रहे तो इसलिए कि ये यूनिकोड में नए जोड़े गए हैं। ये क्रमशः ग, ज, के नीचे लेटी लकीर के साथ, उल्टा ट, ड, ब के नीचे लेटी हुई लकीर के साथ लिखे जाते हैं। शायद रमण जी इनके बारे में बता पाएँ।

ज़ाहिर है कि संस्कृत(और हिंदी) इस यूनिकोड परिभाषित देवनागरी लिपि के एक अंश का ही प्रयोग करती हैं। वर्तनी जाँचकों और भाषा अनुमानकों को को भी इसका ध्यान रखना चाहिए।

और हमें होना चाहिए, नौ दो ग्यारह।

16.12.08

देवनागरी में शब्द लपेटना

अपन लोगों को तो पता ही है कि देवनागरी लिखते समय हम वास्तव में अक्षर दर अक्षर लिखते नहीं है। जैसे कि अक्षर शब्द को ही लें, अगर एक पंक्ति के अंत में जगह कम हो तो इसे लपेटने के लिए हम करेंगे

  1. अ-
    क्षर, या
  2. अक्ष-

पर बिचारे कंप्यूटर को यह कौन बताए कि अ, क, हलंत, ष और र से बना यह शब्द इन्हीं दो तरीकों से ही लपेटा जा सकता है - मतलब लपेटा तो और भी तरह से जा सकता है लेकिन सुविधाजनक यही दो हैं?

कंप्यूटर को यही सिखाने की कोशिश कर रहे हैं सन्तोष तोट्टिङ्गल। उन्होंने, एक शब्दभञ्जन कोष तैयार किया है, और उसके परीक्षण के लिए आमंत्रण दिया है।