जब वर्तनी जाँचक के बजाय नुक्तों की बात छिड़ गई है तो आइए देखते हैं वह कौन से कूटबिंदु हैं जो यूनिकोड वाले देवनागरी के नाम पर मुहैय्या कराते हैं पर संस्कृत में प्रयुक्त देवनागरी वर्णमाला में नहीं हैं। (वास्तव में वर्तनी जाँचक के नज़रिए से देखें तो नुक्ता तो बहुत छोटा, अच्छी तरह परिभाषित मसला है, नुक्ता सहित जाँचें या बगैर - आसानी से किया जा सकता है - पर यह नीचे के ११ मसलों में से केवल एक ही है और सबसे आसानी से सुलझने वाला भी। )
- चंद्रबिंदु - जैसे कि चाँद में
- ऎ - यह स्वर मलयालम में बड़ा "ए" की तरह उच्चारित होता है। ध्यान दें यह ऐ (अ+इ सा उच्चारण), नहीं है। देवनागरी में केवल मलयालम आदि से लिप्यांतरण की सुविधा के लिए इसे शामिल किया गया है।
- ऍ - यह स्वर यूरोपियन भाषाओं के कुछ शब्दों को लिप्यंतरित करने के काम आता है जैसे, ऍक्लेयर, या ऍप्पल। ए का ए लंबा खींचने के बजाय ए और ऐ के बीच का स्वर।
- ऑ - जो ए के लिए ऍ है, वह आ के लिए ऑ है। जैसे कि ऑन, ऑफ़ आदि अंग्रेज़ी शब्दों के लिए।
- ऒ - यह भी मलयालम के बड़े ओ की तरह है, उच्चारण लंबे ओ की तरह होता है न कि औ(अ+उ) की तरह।
- ऩ य़ - यह न और य नहीं है, बल्कि तमिळ, मलयालम में एक और "न" और "य" होता है। इसका ठीक ठीक उच्चारण मुझे नहीं पता है लेकिन क्रमशः न और य जैसा ही होता है, मगर उनसे भिन्न।
- ऱ - यह मराठी में काम आता है जैसे कि दऱ्या जैसे शब्दों में।
- ऴ - यह ल, ळ की शृंखला में अगली कड़ी है। तमिळ, मलयालम में इसका प्रयोग होता है। मेरी जानकारी में, संस्कृत में इसका कोई समानोच्चारक नहीं है।
- क़ ख़ ग़ ज़ फ़ - नुक्तायुक्त शब्द। अरबी-फ़ारसी शब्दों के लिए।
- ड़ ढ़ - गाड़ी, बढ़ई
- ॻ ॼ ॽ ॾ ॿ - यह पाँच व्यंजन कश्मीरी और सिंधी में काम आते हैं। अगर आपको ये अपने पर्दे पर दिख नहीं रहे तो इसलिए कि ये यूनिकोड में नए जोड़े गए हैं। ये क्रमशः ग, ज, के नीचे लेटी लकीर के साथ, उल्टा ट, ड, ब के नीचे लेटी हुई लकीर के साथ लिखे जाते हैं। शायद रमण जी इनके बारे में बता पाएँ।
ज़ाहिर है कि संस्कृत(और हिंदी) इस यूनिकोड परिभाषित देवनागरी लिपि के एक अंश का ही प्रयोग करती हैं। वर्तनी जाँचकों और भाषा अनुमानकों को को भी इसका ध्यान रखना चाहिए।
और हमें होना चाहिए, नौ दो ग्यारह।
ठीक है जी.
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