अपन लोगों को तो पता ही है कि देवनागरी लिखते समय हम वास्तव में अक्षर दर अक्षर लिखते नहीं है। जैसे कि अक्षर शब्द को ही लें, अगर एक पंक्ति के अंत में जगह कम हो तो इसे लपेटने के लिए हम करेंगे
-
अ-
क्षर, या -
अक्ष-
र
पर बिचारे कंप्यूटर को यह कौन बताए कि अ, क, हलंत, ष और र से बना यह शब्द इन्हीं दो तरीकों से ही लपेटा जा सकता है - मतलब लपेटा तो और भी तरह से जा सकता है लेकिन सुविधाजनक यही दो हैं?
कंप्यूटर को यही सिखाने की कोशिश कर रहे हैं सन्तोष तोट्टिङ्गल। उन्होंने, एक शब्दभञ्जन कोष तैयार किया है, और उसके परीक्षण के लिए आमंत्रण दिया है।
कोश तथा कोष का अर्थ भेद बताएं.
जवाब देंहटाएंगुजराती में कई स्थानों पर कोष लिखा जाता है, उसी चीज को हिन्दी में कोश लिखा जाता है. हिन्दी में कोष भी उपस्थित है. अतः भ्रम बन रहा है.
इस भाई साहब ने तो एक छोटी पर महत्वपूर्ण चीज पर अच्छा विचारा है। बूंद-बूँद से ही तो घड़ा भरता है।
जवाब देंहटाएंलेकिन क्या यह तरीका गलत नहीं है? यदि कोई शब्द पंक्ति के अंत में पूरा नहीं आ पा रहा है तो उस पूरे शब्द को ही अगली पंक्ति में सरकाया जाना चाहिए।
जवाब देंहटाएंजैसे यह बेहतर है?
यह चिट्ठा देवनागरी लिपि में हिन्दी भाषा में लिखा ग
या है और इस पर लिखने वाले चिट्टाकार श्रीमान आ
लोक हैं।
या फिर यह बेहतर है?
यह चिट्ठा देवनागरी लिपि में हिन्दी भाषा में लिखा
गया है और इस पर लिखने वाले चिट्टाकार श्रीमान
आलोक हैं।
मेरे अनुसार तो दूसरे वाला तरीका ही उचित है, यानि कि अक्षर को रैप (wrap) करने के स्थान पर शब्द को किया जाए! :)
उचित, अनुचित लेखक के लक्ष्य पर है - अगर जगह बचाना लक्ष्य है तो लपेटना होगा।
जवाब देंहटाएंकोश, कोष, समानार्थी हैं, संस्कृत और हिंदी दोनो में।
कोश व कोष के संदर्भ में-
जवाब देंहटाएंकोश व कोष दोनों शब्दकोश (कोष नहीं) में पाए जाते हैं। भाषा विज्ञानी केशवदत्त रूवाली के अनुसार कोश व कोष यूँ तो समनार्थक हैं पर हिन्दी में अब एक खजाने व दूसरा संग्रह के रूप में इस्तेमाल होने लगा है। कोषागार, कोषाध्यक्ष व शब्दकोश, कविताकोश, विश्वकोश आदि
लपेट
जवाब देंहटाएं-
ना
ल
-
पेटना
रहे
पेट
टना टना।