12.10.06

हिन्दी का एक और ऐडसेंस विज्ञापन

ऐडसेंस हिन्दी आईडीबीआई पाइप एक और विज्ञापन जीमेल के हिन्दी अन्तरापृष्ठ में। इस विज्ञापन में लेखक ने पूर्णविराम (।) के बजाय पाइप() का इस्तेमाल किया है। साथ ही, शीर्षक और वर्णन मिल के एक वाक्य बन रहे हैं, ऐडवर्ड्स विज्ञापन नीतियों के तहत शीर्षक और वर्णन अलग अलग भी मायने रखने चाहिएँ। लेकिन दिक्कत यह भी है कि यूटीऍफ़-8 में होने की वजह से देवनागरी अक्षर काफ़ी जगह खा जाते हैं अतः ज़्यादा सामग्री कम जगह में डालने की कोशिश की गई है। शायद इसीलिए पूर्णविराम की जगह पाइप भी लगाया हो, या फिर अज्ञानवश भी हो सकता है। चाहें तो आप भी अपने धन्धे के हिन्दी ऐडवर्ड्स विज्ञापन छाप सकते हैं।

9.10.06

जीमेल में हिन्दी के एक साथ दो दो विज्ञापन

और अब, मेरे जीमेल खाते में - हिन्दी अन्तरापृष्ठ के साथ - एक ही साथ दो दो हिन्दी के विज्ञापन दिखे - पहली बार। एक है हिन्दी.को.इन खोजक का और दूसरा है लोकतेज अखबार का। हिन्दी ऐडसेंस पहली बार हिन्दी के दो विज्ञापन एक ही पट्टी पर दिखे हैं। बढ़िया है।

23.8.06

जीमेल में हिन्दी का ऐडवर्ड्स विज्ञापन दिखा

हिन्दी ऐडवर्ड्स जीमेल आज अपने जीमेल खाते में (मेरा अन्तरापृष्ठ हिन्दी वाला है) चिट्ठाकार डाक सूची का एक सन्देश पढ़ते हुए हिन्दी में यह विज्ञापन मिला। हाँ, चटका लगाने पर जालस्थल अङ्ग्रेज़ी का ही निकला, पर एक शुरुआत है।

22.8.06

हमाम

नंगे होना भी तनाव मुक्ति का उपाय है - गपशप में चर्चा

20.8.06

माइक्रोसॉफ़्ट द्वारा हिन्दी का बलात्कार - 3

माइक्रोसॉफ़्ट की हिन्दी लीजिए एक और नमूना। क्या आप अभी भी फ़ोल्डर को आगे क्या? गला सूख गया? लगता है इसके लिए भी चुनाव रखना पड़ेगा। क्या आप अभी भी अपने फ़ोल्डर को o खाना चाहते हैं? o लपेटना चाहते हैं? o तह करना चाहते हैं? o पीना चाहते हैं? अरे भाई पूरा सवाल तो पूछो, इतना रोकड़ा काहे वसूले हो?

18.8.06

माइक्रोसॉफ़्ट द्वारा हिन्दी का बलात्कार - 2

माइक्रोसॉफ़्ट की हिन्दी सहेज रहा है opensource से ...untu-6.06-desktop-i386.iso , और कह रहा है सहेज रहा है ...untu-6.06-desktop-i386.iso से opensource मतलब ये हुआ कि हिन्दी की विण्डोज़ का इस्तेमाल करोगे तो जब भी कोई फ़ाइल उतारोगे तो बिल्लू कहेगा, फ़ाइल चढ़ाई जा रही है। इसे कहते हैं उल्टे बाँस बरेली को। कितने पैसे फेंके है बिल्लू ने इस अनुवाद के लिए? कम से कम एक बार जाँच तो करने के लिए कह देता। पैसे दे रहा है तो वसूलता भी। पर लगता है ज़्यादा हैं उसके पास। एक और नमूना - माइक्रोसॉफ़्ट की हिन्दी स्थल से फ़ाइल नहीं उतारी, फ़ाइल से स्थल उतार लिया। तत्त्वमसि। ईश्वर आपके अन्दर है और आप ईश्वर के अन्दर हैं।

17.8.06

माइक्रोसॉफ़्ट द्वारा हिन्दी का बलात्कार - 1

पहले भी चर्चा हो चुकी है - माइक्रोसॉफ़्ट के हिन्दी भाषा पॅक की। उसी को आगे बढ़ाते हुए नोश फ़रमाए, एक और बलात्कारी कदम - माइक्रोसॉफ़्ट आइटमs कोई बता सकता है कि यह आइटमs कहाँ की हिन्दी है? भारतवर्ष या आर्यावर्त की तो कतई नहीं है। हो सकता है पाताल लोक की हो। item को मद न कह के आइटम कह दोगे तो भी हम झेल लेंगे, items को भी मद न कह के आइटम्स कह दोगे तो भी झेल लेंगे, पूर्णविराम के बजाय बिन्दु लगाओगे तो भी झेल लेंगे, लेकिन भाईसाहब, आइटमs ? ये क्या बला है? यह नमूना मिला है इण्टर्नेट ऍक्स्प्लोरर के हिन्दी उद्धरण से। जिस तन्त्रांश के लिए मैंने 8000 रुपए फूँके उससे कुछ न्यूनतम गुणवत्ता की उम्मीद करना क्या पाप है? <कटाक्ष> लिनक्स के नौसिखिये, शौकिया या ग़ैर पेशेवर अनुवादक </कटाक्ष> ऐसी ग़लतियाँ करें तो समझ आता है लेकिन माइक्रोसॉफ़्ट के बिल्लू भाई वाले करें तो? कतई नहीं।

8.8.06

माइक्रोसॉफ़्ट वालो को ज़रूरत है र की

माइक्रोसॉफ़्ट कृपया इन्हें एक र प्रदान करें। ज़्यादा महँगा नहीं आता है। वैसे यह कड़ी है हिन्दी के भाषा पैक की, जिसकी मैं अभी स्थापना करने जा रहा हूँ। आप सब से अनुरोध है कि आप भी करें। इससे आपका मशीन का पर्दा हिन्दीमय हो जाएगा, और साथ ही जिस भी स्थल पर आप जाएँगे, वहाँ के जालराज अपने चिट्ठों में देखेंगे कि हिन्दी (hi-IN) वाली मशीन से बन्दा अपने पास आया है। भाषा प्रतिशत उपरोक्त छवि एक हफ़्ते के देवनागरी.नेट के आँकड़े हैं - देखिए, अङ्ग्रेज़ी का प्रतिशत इतना अधिक इसलिए है क्योंकि बहुत कम लोगो ने भारतीय भाषा का पॅक स्थापित किया है। अधिकतर जालराज और आईटी विभाग इस तरह के आँकड़ों पर कड़ी नज़र रखते हैं और इन्हीं के आधार पर नई भाषाओं में जालस्थल शुरू करने के निर्णय लेते हैं। तो दुनिया को बताइए कि आप के अन्दर हिन्दी के जालस्थल पढ़ने की लालसा है, यदि आप विण्डोज़ पर है तो इस पॅक की स्थापना ज़रूर कीजिए। डाउनलोड केन्द्र - माइक्रोसॉफ़्ट

2.8.06

दीवान

इतने दिनो से ये खज़ाना कहाँ छिपा था? तो इन्तज़ार किस बात का है, सदस्य बनिए। दिनो होता है या दिनों? प्रकाश डालने वाले को आभार।

25.7.06

अन्धा क़ानून - डाक सूची में आमन्त्रण

एक नई डाक सूची क़ानूनी सलाह के लिए। क़ानूनी सलाह की सबको ज़रूरत पड़ती है। क़ानूनगोओं का यहाँ स्वागत है। यदि आपकी कोई क़ानूनी समस्या हो - ज़मीन जायदात, व्यापार, अन्तर्जाल पर, या बतौर उपभोक्ता - हो सकता है कि आप वकील न हों, लेकिन वैसी ही स्थिति से गुज़र चुके हों। दी गई सलाह और उसपर अमल के नतीजे के लिए डाक सूची के सञ्चालक ज़िम्मेदार नहीं। तो इन्तज़ार किस बात का है, मुफ़्त की सलाह दीजिए और लीजिए, लेकिन अपने जिम्मे पर। http://groups.google.com/group/andhaqanoon

सगाई से विदाई तक

सञ्जय जी सगाई से विदाई तक नामक स्थल बना चुके हैं, लेकिन अभी सगाई हुई नहीं है, बात आगे बढ़ाने के लिए उन्हें लिखें

24.7.06

तमिल में ऐडसेंस दिखा

आज शून्य से गुज़रते हुए दाईं तरफ़ मुझे तमिल में ऐडसेंस दिखा - तमिल ऐडसेंस है न बढ़िया? वैसे तमिल में लिखा है तमिळ पुत्तकङ्गण यानी शायद तमिल पुस्तकें? पता नहीं आपको अब दिखे या नहीं, पर मुझे तो दिखा।

18.7.06

रेल टिकट बिक्री बन्द की जाएगी

18 जुलाई को रात बारह बजे से हिन्दुस्तान में सभी रेल टिकटें बेचना बन्द कर दिया जाएगा। भारत सरकार के विश्लेषकों ने पाया है कि आतङ्कवादी रेलगाड़ियों में बमों के जरिए दहशत फैलाते हैं। अतः सभी रेल सेवा प्रदाताओं को निर्देश दिया गया है कि वे भारत के अन्दर रेल टिकट बेचना बन्द कर दें। लेकिन, यदि वे रेलगाड़ियों के टिकटों को बस डिपो पर बेचें तो सरकार को कोई आपत्ति नहीं है।

ब्लॉगर के विकल्प

अब क्योंकि ब्लॉगर और ब्लॉग्स्पॉट पर कुछ तरह की रोक दिख रही है तो देखते हैं कि इसके विकल्प क्या हैं। खुशकिस्मती से मैं इससे प्रभावित नहीं हूँ - मेरा जाल सेवा प्रदाता या तो बहुत अक्लमन्द है या बहुत आलसी - पर देखते हैं कि क्या विकल्प हो सकते हैं। ब्लॉग्स्पॉट पर जो लोग चिट्ठे लिखते हैं वे बिना किसी तामझाम के फ़ोकट में बस लिख पाएँ - वाली श्रेणी के लोग होते हैं, मेरी तरह। सो यदि ब्लॉग्स्पॉट न चल रहा हो तो और कौन सी सुविधा है जो काम में आ सकती है? इनमें से एक है लाइवजर्नल। आप यहाँ खाता खोल सकते हैं और तुरन्त लिखना शुरू कर सकते हैं। आपका लेखा कुछ ऐसा दिखेगा। फिर इसकी फ़ीड आप नारद पर भी प्रकाशित कर सकते हैं। बाद में सुविधानुसार जिस चिट्ठे पर लिखने की इच्छा हो, लिखें।

15.7.06

8.7.06

एमएसएन हिन्दी में

तकनीकी खबरों का भण्डार शून्य बता रहा है कि माइक्रोसॉफ़्ट का पोर्टल एमएसएन अब हिन्दी में आ गया है - http://msn.co.in/hindi - मुबारक हो। पर इसमें कोई आरऍसऍस फ़ीड नहीं हैं। पता नहीं मूल ऍमऍसऍन में हैं कि नहीं। पर निश्चय ही यह एक शानदार खबर है।

5.7.06

कतई या क़तई?

प्रतीक ने लिखा क़तई और मैंने कहा कतई, फिर उन्होंने कहा कि धर्मवीर भारती जी ठेले पर हिमालय में क़तई लिखते थे। ठीक है, तो सही क्या है?

3.7.06

व्याकरण और हिज्जे

कई लोगों की प्रविष्टियाँ पढ़ के कर लगा कि अरे दइया, मैं लिखने में इतनी ग़लतियाँ करता हूँ। शायद किसीने किसी ने टोका होता तो मैं इन्हें सुधार भी लेता। सो आज से मीन मेख अभियान शुरू किया है, दूसरों के लिखे में ग़लतियाँ निकालने का, इस उम्मीद में कि लोग यही कड़वी दवा मुझे भी पिलाने को अग्रसर होंगे। अब होते हैं नौ दो ग्यारह, हमें है अब दफ़्तर जाना।

22.4.06

मोहाली में

तीन महीने पहले मोहाली आ गया था। यहाँ पर आशीष विश्वास जी से भी बातचीत हुई। उम्मीद है कि जल्द ही मुलाकात भी होगी।

18.4.06

तस्वीरें

अपनी तस्वीरों का चिप्पी-बादल यहाँ है। और अपने जान पहचान के लोग यहाँ। फ़्लिकर का इस्तेमाल मैंने हाल में ही शुरू किया है इसलिए हो सकता है कि आपका भी फ़्लिकर पर खाता हो लेकिन मुझे उसके बारे में पता न हो। यदि ऐसा हो तो आप मुझसे फ़्लिकर पर दोस्ती कर लें। और हाँ, तस्वीरों पर चिप्पियाँ देवनागरी में लगाइएगा!

16.3.06

कड़क खबरें

राजनीतिक खबरों व उनका विश्लेषण आपको यहाँ मिलेगा। खबरों के साथ साथ खबरों पर छींटाकसी करने की भी सुविधा। यानी कि लेखकों व आलोचकों से सीधा संवाद। उम्मीद है कि यह लगातार बना रहेगा, अक्सर देखते हैं कि हिन्दी विभाग चुपचाप गायब हो जाते हैं। मैंने एक टिप्पणी छाप दी है, ठीक आई है। अन्तरापृष्ठ साफ़ सुथरा है, पसन्द आया, लेकिन लगता है ज़्यादातर लेख अनुवादित हैं।

9.3.06

विकीमीडिया कॉमंस

ये स्थल है ऐसी सामग्री का जो कि विकीपीडिया व उसकी भगिनी परियोजनाओं के काम आ सके। यानी कि तस्वीरें, वीडियो आदि। पर अभी इसकी शुरुआत ही हुई है। जैसे जैसे यहाँ सामग्री बढ़ती जाएगी, विकीपीडिया परियोजना कॉमंस से सामान उठाती जा सकती है। इसी प्रकार कोई भी स्थल जो ग्नू मुक्त प्रलेखन अनुमति पत्र के तहत हो - इसका लाभ उठा सकेगा।

8.3.06

इण्डिया वर्ल्ड

यहाँ पर पहुँचा इस काका हाथरसी वाली कड़ी के जरिए - जो मुझे ई चर्चा से मिली। अब होली आ रही है तो काका हाथरसी की बात करना उपयुक्त ही है। उनका असली नाम प्रभुनाथ गर्ग है। यहाँ पर इनकी कई और रचनाएँ भी मौजूद हैं।

7.3.06

w3c इण्डिया

वाह। अच्छा खासा जाल स्थल बना डाला है। लगता है इसमें सीडॅक का हाथ है। वैसे मुझे इस स्थल का खुला जमाव बहुत अच्छा लगता है - फैले हुए, दूर दूर स्थित अक्षर, पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं आती।

6.3.06

हिन्दी ऑन्लाइन पत्रकारिता की कार्यशाला - इन्दौर, 6 मार्च

कोई इन्दौर वाले जानते हों तो बताएँ। इसके अलावा भोपाल और दिल्ली में भी हैं। विद्यार्थियों को लेख लिखने को कहा जाएगा जो कि बीबीसी पर छपेंगे। देखते हैं क्या लिखते हैं। साथ ही पता चला कि बीबीसी और वेबदुनिया नें टाँका भिड़ाया हुआ है, वह भी 2002 से।

शराफ़त दिसम्बर में अटक गई?

समाचार स्थल बनाना बच्चों का खेल नहीं। ऐसा लगता है कि रायपुर में शराफ़त दिसम्बर में समाप्त हो गई। जाल पर एक दिन बासी खबर भी महाबासी मानी जाती है, यहाँ ये पन्ना पिछले दो महीनों से जस का तस है। पर उम्मीद है कि जल्दी ही आगे काम होगा, वैसे भी यूनिकोडित समाचार स्थलों की कमी है। वैसे रायपुर में मैं 1995 में तीन महीने था। वहाँ के रायपुर टुडे के बारे में भी मैं पहले चर्चा कर चुका हूँ, और छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल को देख के लगता है कि छत्तीसगढ़ और रायपुर यूनिकोडित होने में काफ़ी आगे चल रहा है।

2.3.06

है, लेकिन असली माल नहीं

हिन्दिनी बता रही हैं कि चार सौ टके में ऍक्स पी बिकने वाला है। पर सम्भवतः इस स्टार्टर ऍडिशन में बहुत सी चीज़ें गोल होंगी। जब विण्डोज़ ऍक्स पी होम ही कई चीज़ें चला के नहीं देता तो इस चार सौ टके वाले संस्करण की क्या काबिलियत होगी। हाँ यह है कि सौ टके की सीडी कटवाने के बजाय शायद लोग इसे लेना शुरू कर दें।

1.3.06

गड़बड़

हो

गई

ये

नारद

में

कैसा

लगेगा?

10.2.06

मोज़िला, फ़ायर्फ़ाक्स और देवनागरी

हिमांशु का कहना है कि फ़ायर्फ़ाक्स पर उन्हें हिन्दी ठीक से नहीं दिखतीं। मेरी जानकारी में इसके पाँच कारण हो सकते हैं। (1) विण्डोज़ 2000 या विण्डोज़ ऍक्स पी का न होना (2) (1) तो है पर भारतीय भाषाओं का पॅक स्थापित नहीं किया है। (3) फ़ायर्फ़ाक्स पर सही मुद्रलिपि का चुनाव न करना - Tools -> Options -> Content -> Fonts & Colors -> Advanced -> Fonts For -> Devanagari के अन्तर्गत। (4) मोज़िला त्रुटि 202351 की वजह से - justify वाली (5) कभी कभी संयुक्ताक्षर हलन्त समेत दिखते हैं - ऐसा केवल कुछ ख़ास आई ऍम ई का प्रयोग करते समय होता है जो कि ZWJ व ZWNJ बीच में डाल देते हैं जो कि मोज़िला सँभाल नहीं पाता। जो लोग ऐसे आई ऍम ई से बने पन्नों को देखेंगे, उन्हें मोज़िला में हमेशा ही देवनागरी टूटी फूटी दिखेगी। त्रुटि 202352 (1), (2), (3) से तो निपटा जा सकता है, (4) की वजह से लोगों ने justify का इस्तेमाल ही बन्द कर दिया है, हिन्दुस्तानी जो ठहरे, ऍड्जस्ट हो जाते हैं - इस त्रुटि को ठीक करने के बजाय। (5) एक समस्या है क्योंकि इस आई ऍम ई का प्रयोग करके लोग इण्टर्नेट ऍक्स्प्लोरर में देखते हैं कि सब ठीक दिख रहा है, लेकिन मोज़िला मट्टी पलीद कर ही देता है। तो ये, समाधान नहीं था, समस्या का विश्लेषण ही था। विश्लेषण लायक कोई और जानकारी हो तो बताएँ। बहरहाल देवनागरी सम्बन्धी मोज़िला की सारी त्रुटियाँ आपको देवनागरी की बग्ज़िला में खोज करने से मिलेंगी।

9.2.06

नोट छापना शुरू

देवनागरी डॉट नेट पर मैंने पिछले साल की शुरुआत में, यानी कि जनवरी में ऍड्सेंस विज्ञापन डालने शुरू किए थे। सौ डॉलर के आँकड़े पर पहुँचने में ग्यारह महीने लगे। मतलब कि लगभग 4500 रुपए। एक तरह से देखा जाए तो जालस्थल पर हुए सालाना खर्चे से ये ज़्यादा है - आतिथ्य व डोमेन का सालाना खर्चा 1190 रुपए है। यानी कि लागत पर लाभ, 278%। लेकिन ये गणित ठीक इसलिए नहीं है क्योंकि इसमें उन घण्टों का हिसाब नहीं है जो मैंने स्थल को सजाने सँवारने में लगाए हैं। न ही खर्च हुई बिजली, फ़ोन के बिल(8400 सालाना न्यूनतम) का। वो सब मिला लें तो अब तक घाटे में ही चल रहे हैं। पर एक अच्छी शुरुआत है। आपके क्या अनुभव हैं ऐडसेंस या ऍडवर्ड्स के साथ?

8.2.06

चाँद और गड़हे

खोज रही हैं स्वाति सानी अभी भी, चन्द्रबिन्दुओं और ड़ को। और हाँ, दौड़ कर बताने के पहले, ये लिनक्स बोलनागरी की खिलाड़ी हैं।

31.1.06

देशभक्ति 2.0 बेटा

रंग दे बसंती देख ली, देशभक्ति का नया उद्धरण है, पुरानी वाली और नई वाली के बीच टाँका भिड़ाने का सफल प्रयास । क्या कहने। कई दिनों से नौ दो ग्यारह था। इस दुनिया में दिन सालों के बराबर होते हैं, ऐसा देबाशीष ने कहा था। मुझे भी वही महसूस हो रहा है।