18.8.06
माइक्रोसॉफ़्ट द्वारा हिन्दी का बलात्कार - 2
सहेज रहा है opensource से ...untu-6.06-desktop-i386.iso , और कह रहा है
सहेज रहा है ...untu-6.06-desktop-i386.iso से opensource
मतलब ये हुआ कि हिन्दी की विण्डोज़ का इस्तेमाल करोगे तो जब भी कोई फ़ाइल उतारोगे तो बिल्लू कहेगा, फ़ाइल चढ़ाई जा रही है।
इसे कहते हैं उल्टे बाँस बरेली को।
कितने पैसे फेंके है बिल्लू ने इस अनुवाद के लिए? कम से कम एक बार जाँच तो करने के लिए कह देता। पैसे दे रहा है तो वसूलता भी। पर लगता है ज़्यादा हैं उसके पास।
एक और नमूना -
स्थल से फ़ाइल नहीं उतारी, फ़ाइल से स्थल उतार लिया। तत्त्वमसि। ईश्वर आपके अन्दर है और आप ईश्वर के अन्दर हैं।
7 टिप्पणियां:
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यह भी खुब रही.
जवाब देंहटाएंआपभी किश्तों में आरोपपत्र तैयार कर रहे हैं बिल्लूमिंया पर. ;)
आप द्वारा रखी जा रही छवियाँ बिल्लू का मजाक बनाने के लिए 'फनी पिक्चर्स' की श्रेणी में रख सकते हैं, यह बताते हुए कि ऐसी होती हैं माइक्रोसोफ्ट की हिन्दी.
असल में मुसीबत यह है, कि अनुवाद शब्दों का तो करवा दिया पर व्याकरण नामक चीज़ के बारे में भूल गए। अधिकतर इंडो यूरोपियन भाषाओं का एक जैसा व्याकरण है। हिन्दी (या अन्य भारतीय भाषाओं) में सिर्फ कारक का विसर्ग संज्ञा के बाद लगता है, बाकी यूरोपीय भाषाओं की तरह पहले नहीं।
जवाब देंहटाएंसही श्रंखला चला रही है आपने भी! इकठ्ठा करिये फिर उनकी टीम को कड़ियाँ भेज दीजियेगा, हो सकता है कुछ अक्कल आ जाये। जो लोग अंग्रेजी नही समझते हैं उनके लिये इस तरह ही हिन्दी तो ना घर की ना घाट की...
जवाब देंहटाएंयहाँ केवल अंग्रेजी के from का अनुवाद हिन्दी के "से" से कर दिया गया है।
जवाब देंहटाएंअनुवाद मे कोई गलती नही है। गलती प्रस्तुतीकरण मे है। जैसा कि क्षितिज ने लिखा।
भगवान इस तरह के अनुवाद और अनुवादकों से हिन्दी को बचाये।
जवाब देंहटाएंइससे कहीं घटिया अनुवाद भारतीय स्टेट बैंक के चेकों पर तथा अन्य आवेदन पत्रों, यथा बैंक ड्राफ़्ट बनाने का आएदन पत्र, आदि पर होती है। इसको मैं आज तक समझ नहीं पाया। जो लोग केवल हिन्दी पढे हैं, वे लोग कैसे समझते होंगे?
वहां समस्या यह है कि अंगरेजी और हिन्दी साथ-साथ चलते हैं; और सब कुछ अंगरेजी का एक या अनेक बड़े वाक्य के रूप में लिखा होता है; हिन्दी उसी के साथ घसीटती हुई लिख दी जाती है।
इस तरह की समस्या को रोकना कोई कठिन नहीं है। बस चेतना की जरूरत है और इसकी महती आवश्यकता को समझने की जरूरत है।
एक तरीका है कि प्रपत्रों को यथासंभव वाक्य के रूप में न लिखा जाय्; बल्कि वांछित जानकारी को सारणीय रूप में माँगा जाय्।
दूसरा तरीका है कि हिन्दी और अंगरेजी को एक साथ न रखकर अलग-अलग रखा जाय।
जो अनुवाद अनुवाद लगे वह अनुवाद है ही नहीं। यह बात आम पाठक भले ही समझ ले, माइक्रोसॉफ्ट जैसे महादिग्गज कहां समझेंगे। वे तो यही समझते हैं कि उन्हीं का तरीका सबसे सही है। वैसे, भैया माइक्रोसॉफ्ट ने किन हिंदी विशेषज्ञों की सेवाएं ली हैं?
जवाब देंहटाएंसही!!
जवाब देंहटाएंलगता है माईक्रोसॉफ़्ट ने ABCD अनुवादक की सहायता ली है.
( अमेरिकन बॉर्न कन्फ़्यूज़ देशी)