वह भी कुद का पतीसा खा के। दरअसल ज़्यादा कुछ है नहीं इसमें और हो सकता है कोई संपादक-वंपादक अब तक इस पर कैंची चला चुका हो पर लिख तो डाला ही। ये बात सही है कि अनुवाद के बजाय ताज़ा माल लिखना उतना ही बढ़िया लगता है जितना कुद का पतीसा खाना।
कई साल(यानी अन्तर्जाल के साल, वास्तव में हफ़्ते) पहले यह सोचा था कि हिन्दी के लेखों में जित्ते भी अहिन्दी विकीपीडिया संदर्भ हैं उनकी फ़ेरहिस्त तैयार की जाए। पर चौदहवीं का चाँद देखने से फुरसत मिले तब न। वैसे फ़िल्म अच्छी थी।
इस बात पर खिलाओ पतीसा, हम भी दुआ देंगे... :)
जवाब देंहटाएंपतीसा खिलाने वाली बात तो है, महाराज!!
जवाब देंहटाएंआज ही हिन्दी ब्लॉग के जनक के बारे मे जाना . आपको मेरा प्रणाम .आपका लगाया बीज अब वृक्ष बन रहा है
जवाब देंहटाएंaapko dhanyawaad!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंपतीसा कों खिला रहा है, हम भी है राहों में
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