4.8.07

हिन्दी का डिग - हिन्दीजगत्

कुछ दिनो पहले मैंने डिग पर हिन्दी का एक लेख प्रकाशित करने की कोशिश की। लेकिन हिन्दी का लेख नहीं छाप पाया - शीर्षक में हिन्दी स्वीकार्य नहीं था, या ऐसी ही कोई समस्या। डिग पर लोगबाग अपनी पसन्द की खबरें - यानी जालस्थलों के पन्नों की कड़ियाँ - प्रस्तावित करते हैं, और फिर यदि और लोगों को पसन्द आती हैं, तो वे उनके बगल में मौजूद लघु छवि पर चटका लगा के घोषित करते हैं कि उन्हें पसन्द आईं। इस प्रकार पहले पन्ने पर हमेशा सबसे लोकप्रिय खबरें होती हैं, अगले पर उससे कम, आदि आदि। यह क्रम लगातार बदलता रहता है, नई खबरों के आने और लोगों की राय के अनुसार। तो बात हो रही थी कि डिग पर हिन्दी के लेख नहीं छाप पा रहा था। फिर परसों मुझे मिला हिन्दी जगत् - यह लगभग हिन्दी का डिग ही है। आप भी आजमा के देखें। <जोड़ा> देख रहा हूँ इसे डालने से क्या होता है - Save This News! </जोड़ा>

6 टिप्‍पणियां:

  1. डिग ने मुझे पहले हिन्दी सामग्री जमा करने के नाम पर बैन कर दिया था!

    जवाब देंहटाएं
  2. बेनामी3:06 pm

    ब्लोगवानी में पंसद वाला कालम भी डिग जैसा है इसमे ज्यादा पंसद की ब्लाग ऊपर हो जाते है

    जवाब देंहटाएं
  3. अच्छी जानकारी है.

    जवाब देंहटाएं
  4. यह जालस्थल फरवरी में आया था। इसकी मुख्य कमी है वर्तनी की अशुद्धियाँ। इस बारे मैंने अक्षरग्राम पर एक पोस्ट भी लिखी थी।

    जवाब देंहटाएं
  5. अच्‍छा प्रयास किया था आपने हमें निरंतर ऐसे ही लगे रहना है हिन्‍दी के लिये

    धन्‍यवाद

    “आरंभ” संजीव का हिन्‍दी चिट्ठा

    जवाब देंहटाएं
  6. अक्षरग्राम वाली प्रविष्टि - काफ़ी जानकारीपूर्ण थी - मैंने पहले देखी नहीं थी। धन्यवाद। वर्तनी की अशुद्धियाँ होने का मुख्य कारण शायद अहिन्दी भाषी के द्वारा निर्माण किया जाना है। वह धीरे धीरे सुझावों के साथ ठीक की जा सकती है। पर यह सराहनीय है कि किसी अहिन्दी भाषी ने हिन्दी में स्थल बनाने का प्रयास किया।

    जवाब देंहटाएं

सभी टिप्पणियाँ ९-२-११ की टिप्पणी नीति के अधीन होंगी। टिप्पणियों को अन्यत्र पुनः प्रकाशित करने के पहले मूल लेखकों की अनुमति लेनी आवश्यक है।