एरिक म्युलर जी चाहते हैं कि कोई उनके लेखन को पढ़ के उसकी त्रुटियाँ बताने का कष्ट करे। दरअसल यह
मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा का यूनिकोडित रूप है। म्युलर जी का विपत्र तो मुझे पता नहीं। वैसे मुझे उसी पन्न पर "उत्तरी हवा और सूरज" वाली कहानी में एक त्रुटि मिली, उत्तर को उत्तॅर लिखा है। बहुत हुई मीन मेख, अब होते हैं नौ दो ग्यारह।
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