- रीडिफ़ पर जा के एक डोमेन खरीदें।* जैसे कि meranaam.in, कीमत करीब 800 रुपए सालाना।
- डोमेन में CNAME प्रविष्टि डालें - ताकि example.in पहुँचे ghs.google.com पर। आधिकारिक जानकारी।
- ब्लॉगर.कॉम के खाते में सेटिंग्स -> प्रकाशन पर जा के, "कस्टम डोमेन" को चुनें। देखें -
उसके बाद, "उन्नत सेटिंग्स पर जाएँ" और अपना डोमेन नाम दे के सँजो लें। देखें -
बस! आपका चिट्ठा puraanaanaam.blogspot.com के साथ साथ अब meranaam.in पर भी दिखेगा!
* कुछ अपेक्षित शकों और सवालों के जवाब -
- ज़रूरी नहीं की आप रीडिफ़ से ही डोमेन खरीदें, आप कहीं और से भी ले सकते हैं। .इन डोमेनों के रजिस्ट्रारों की सूची मेरा रीडिफ़ से कोई व्यावसायिक नाता नहीं है, उदाहरण के रूप में लिखा।
- आप चाहें तो .इन के बजाय .कॉम भी ले सकते हैं पर .इन ज़्यादा मज़ेदार है!
- पुराने ब्लॉग्स्पॉट वाले डोमेन का क्या होगा? वहाँ की सारी कड़ियाँ यहाँ की जैसी दिखेंगी पुराने पाठक वैसे के वैसे बँधे रहेंगे
- फ़ीड की कड़ी बदलनी होगी क्या? नहीं, वह जस की तस रहेगी।
- ghs है गूगल होस्टिंग सर्विस। दरअसल सीनेम के जरिए होता बस इतना है कि जब भी कोई example.in पर जाएगा, तो उसे सीधे ghs.google.com पर भेज दिया जाता है। पाठक को ऊपर दिखता है example.in, लेकिन वास्तव में सब काम ghs.google.com पर हो रहा है!
- अगर आप प्रोग्रामर नहीं है, और वर्ड्प्रेस के टंटे, होस्टिंग के खर्चे से बचते हुए भी अपनी पहचान बनाना चाहते हैं, या अपनी पहचान को और सशक्त बनाना चाहते हैं, तो यह तरीका अत्युत्तम है। आपके लेखन, संपादन, टिप्पणी सूत्रधारी वैसे ही चलती रहेगी जैसी ब्लॉग्स्पॉट पर।
- इतना ध्यान रखें कि इसके बाद आपको पैसे हर साल जमा कराने होंगे - नहीं कराएँगे तो वही हाल होगा जो भाड़ा न देने वाले किरायेदार का होता है।
- संकलकों और खोजी स्थलों पर नया नाम आने से कोई फ़र्क पड़ेगा? पड़ सकता है, संकलक पर निर्भर करता है। पर आपकी पुरानी कड़ियाँ भी चालू रहेंगी इसलिए दिक्कत नहीं आनी चाहिए। अगर डोमेन नाम याद रखने में सरल हो और लिखने में छोटा, तो अधिक पाठक सीधे आएँगे। इसलिए नाम सोच समझ के चुनें।
आप चाहें तो पहले अपने डोमेन का उपडोमेन बना सकते हैं और फिर उस उपडोमेन के लिए सीनेम दे सकते हैं, जैसे कि bakbak.meranaam.in - ताकि यदि चाहें तो अपने डोमेन के बाकी हिस्से पर बाद में कुछ और डाल सकें।
जीता जागता उदाहरण - चिट्ठाजगत का आधिकारिक चिट्ठा - http://chittha.chitthajagat.in - इसी विधि से ही प्रकाशित होता है!
कोई और शक या सवाल?
पुनश्च - रामचन्द्र मिश्र जी का http://hindi.rcmishra.net/ भी इसी सेवा के तहत चलता है।
पुनश्च २ - कुछ जानकारी अगले लेख में भी है।
अच्छी जानकारी के लिए साधुवाद. आभार.
जवाब देंहटाएंचलिये, वित्तमंत्रालय (पढ़ें पत्नीजी) से ८०० रुपये स्वीकृत कराते है, इस काम के लिये!
जवाब देंहटाएंएक शंका का समाधान करें:
जवाब देंहटाएंहम अपने डोमेन पर इसलिये जाते हैं कि हमारा चिट्ठा गूगल या वर्डप्रैस पर निर्भर न रहे। कभी भी गूगल हमारे खाते या चिट्ठे को प्रतिबंधित करने का हक रखता है।
आपने जो प्रक्रिया बतायी है इससे क्या चिट्ठे की निर्भरता पूरी तरह से गूगल से हट जायेगी ?
आलोक जी, जानकारी पूर्ण लेख के लिये बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंमेरा हिन्दी चिट्ठा हिन्दी ब्लॉग इसी व्यवस्था के तहत गुगल की सेवायें ले रहा है, हाँलांकि मेरा वर्ड प्रेस पर आधारित अपना चिट्ठा भी है|
@ Jagdish Bhatia
मेरे विचार से बतायी गयी प्रक्रिया द्वारा चिट्ठे की निर्भरता गुगल पर और बढ़ जायेगी।
एक बात और, इस सुविधा से आप जब चाहें अपने चिट्ठे को किसी URL से अब और आसानी से हटा सकते हैं, और मौका मिलते ही उसे वहीं पुनः स्थापित कर सकते हैं। मतलब अपने चिट्ठे का URL Dynamic रख सकते हैं :)
इतनी अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंजगदीश जी, आप सही कह रहे हैं, गूगल के "चंगुल" से तो कतई बचा नहीं जा रहा है इस विधि से। वैसे दूसरे नज़रिए से देखें तो अपना डोमेन लेने के और भी कारण हो सकते हैं, जैसे कि अपनी पहचान बनाना - जैसे कि काकेश जी, आलोक पुराणिक जी और अपने देबू ने किया है।
जवाब देंहटाएंइसी प्रकार, डोमेन ले लेने से ही सारे चंगुलों से बचने की गारंटी भी नहीं है। आपका आतिथ्य - होस्टिंग - प्रदाता भी आपका खाता कभी भी बन्द कर सकता है, बिना कारण बताए। इसी प्रकार आपको डोमेन प्रदाता भी बिना कारण बताए डोमेन आपसे छीन सकता है - डोमेन संबंधी नियमों - अपवादों के तहत। यह दोनो लोग कुछ नहीं करें तो भी आपके देश की सरकार आपके ऊपर कुछ कार्यवाही कर सकती है। अगर वास्तव में लक्ष्य इन सब चीज़ों से बचना है तो डोमेन लेना मात्र ही काफ़ी नहीं है।
यह विधि बस गैर-प्रोग्रामरों को ८०० रुपए सालाना के खर्च पर अपने डोमेन में काम करने की सुविधा देती है, होस्टिंग के खर्च के बगैर।
आपका क्या विचार है?
रामचन्द्र मिश्र जी, जानकारी के लिए धन्यवाद! मुझे नहीं पता था कि आपका चिट्ठा भी इसी पर आधारित है। लेख में जोड़ दिया है।
जवाब देंहटाएंइस सुविधा की यही तो खूबी है कि पाठक को पता भी नहीं चलता कि इसका प्रयोग किया जा रहा है, और आप जब चाहें डोमेन की अदला बदली भी कर सकते हैं - वैसे अदला बदली बार बार न की जाए तो ही बेहतर है!
रामचन्द्र मिश्र जी, जानकारी के लिए धन्यवाद! मुझे नहीं पता था कि आपका चिट्ठा भी इसी पर आधारित है। लेख में जोड़ दिया है।
जवाब देंहटाएंइस सुविधा की यही तो खूबी है कि पाठक को पता भी नहीं चलता कि इसका प्रयोग किया जा रहा है, और आप जब चाहें डोमेन की अदला बदली भी कर सकते हैं - वैसे अदला बदली बार बार न की जाए तो ही बेहतर है!
बड़े मौके से मिले आप, गुरु !
जवाब देंहटाएंमैं यही जानकारी तो खोज ही रहा था ।
धन्यवाद ।
जवाब के लिये धन्यवाद आलोक जी,
जवाब देंहटाएंवास्तव में मैं भी अपना डोमेन लेने के बारे में सोच रहा हूं इसीलिये जानना चाह रहा था कि अपना डोमेन कितना ’अपना’ और कितना दूसरों पर निर्भर हो सकता है।
हां, मेरे जैसे गैर तकनीकी लोगों के लिये यह एक आसान विकल्प है।
अमर जी धन्यवाद आपका पढ़ने के लिए। इन्तज़ार रहेगा आपके डोमेन का, बताइगा, पूरी कार्यवाही कर लेने के बाद!
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