30.8.05

ग़ज़लें

श्रिङ्गार रस से ओत प्रोत। छुपाने से मेरी जानम कहीं क्या प्यार छुपता है ये ऐसा मुश्क है ख़ुशबू हमेशा देता रहता है। वैसे सङ्कलनकर्ता आईआईटी कानपुर की पढ़ी हैं।

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