31.10.05
आराम करो
पञ्जाब इञ्जिनीयरिङ्ग कॉलेज में बस तीन तरह के प्राणी होते थे। एक वो, जो ऍमबीए की तैयारी करते थे, दूसरे वो, जो जीयारी की तैयारी करते थे, और तीसरे, जो आराम करते थे। अपन तीसरे वाले में थे।
इस कॉलेज के एक और प्राणी मिले, कनिष्क रस्तोगी। ये जीयारी वाले हैं।
वैसे जीयारी, कुछ ज़ियारत जैसा शब्द नहीं लगता?
मैं सोच रहा हूँ कि हिन्दी में लिखने वालों में पॅक के बाशिन्दों की मात्रा इतनी अधिक कैसे है? किसी को कोई अन्दाज़ा है?
2 टिप्पणियां:
सभी टिप्पणियाँ ९-२-११ की टिप्पणी नीति के अधीन होंगी। टिप्पणियों को अन्यत्र पुनः प्रकाशित करने के पहले मूल लेखकों की अनुमति लेनी आवश्यक है।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
भई हमारे चिट्ठे पर तशरीफ लाने के लिए, टिप्पणी करने के लिए और अपने चिट्ठे पर हमारा जिक्र करने के लिए combined 3-in-1 धन्यवाद आलोक मियां !
जवाब देंहटाएंअभी हम जरा नए हैं...थोड़ा हाथ जमने में समय लगेगा ।
बाकि यह बात तो पक्की है की PEC वाले great होते हैं। हर field में active होते हैं।
बहुत खुशी हुई अपने super-duper senior से मिलकर |
मेरे चिट्ठे के ऊपर एक प्रविष्टि पढकर काफी अच्छा लगा। अतः उसी खुशी में मैनें भी एक प्रविष्टि लिखी।
जवाब देंहटाएंसमय मिले तो जरा निगाह मारियेगा ।