5.12.07

हिन्दी वेबसाइट

जी हाँ, स्थल का नाम है हिन्दी वेबसाइट। यहाँ लिखा भारतेंदु हरिश्चन्द्र जी का दोहा - या चौपाई, या सवैया या कवित्त ? मुझे फ़र्क नहीं पता - पसन्द आया -
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल। अंग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन।
दिलचस्प बात यह है कि यहाँ एचटीएमएल और पेजमेकर सीखने के लेख भी हैं, ऐडसेंस का बेहिचक इस्तेमाल है, और एक दिलचस्प चिट्ठा भी है। बढ़िया काम है जी के ए जी। शायद वनस्पति आधारित चिकित्सा का भी एक विभाग बनाया जा सकता है।

4 टिप्‍पणियां:

  1. कोई स्माइली नहीं है - इसलिये मुश्किल है यह समझ पाना कि 'वनस्पति चिकित्सा' को काम का माना जा रहा है या देसी घास फूस! :-)
    बाकी; चीजें आप खोज-खोज कर लाते हैं; मानना पड़ेगा!

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  2. हूँ। सोच रहा हूँ, स्माइली होता, तो समझ पाना आसान होता - कि घास फूस माना जा रहा है? मतलब - स्माइली के साथ एक बे-स्माइली का प्रावधान भी होना चाहिए!

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  3. आलोक जी,

    जानकर खुशी हुई कि आपको हिंदी वेबसाइट पसंद आया। धन्यवाद! मैंने 'कृति निर्देशिका' के नाम से हिंदी 'आर्टिकल डायरेक्टरी' भी बनाया है (url: httP://kriti.agoodplace4all.com)। गुणीजन यदि अपनी रचनाएँ उसमें भी प्रकाशित कर के उसे सफल बनायेंगे तो मुझ पर उपकार तो होगा ही, अन्तर्जाल में हिंदी का वर्चस्व भी बढ़ेगा।

    जी.के. अवधिया

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  4. बेनामी6:17 pm

    Download Movies for free, download bollywood movies for free http://www.spideronweb.com/forum/

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