पिछली बार लिखा था कि जालस्थलों के स्वामी अपने स्थलों में हिन्दी के तमगे कैसे लगा सकते हैं। इससे पाठक रूपी यात्रियों और पटरी के दूसरी तरफ़ मँडराने वाले खोजी कुत्तों, दोनो तक पहुँचने में सुविधा होगी ऐसी आशा है।
पर साफ़ बात है कि लेखक दस हैं तो पाठक सौ, चाहे अंग्रेज़ी हो या हिन्दी। यानी जितने लोग लिखते हैं उससे कई गुना लोग पढ़ते हैं। अतः पाठक कैसे बताएँ कि उन्हें हिन्दी आती है, या हिन्दी के स्थल पसन्द करते हैं?
1. अपने ब्राउज़र में जा के भाषा पसन्द में हिन्दी को शामिल करें, और उसे सबसे ऊपर करें। ऐसा करने से कई भाषाओं में उपलब्ध स्थल होने पर, यदि हिन्दी में भी वह स्थल है तो आपको हिन्दी वाला दिखाया जाएगा, पहले से ही, स्थल पर पहुँचने के बाद भाषा बदलने की ज़रूरत नहीं होगी।
यह आप फ़ायर्फ़ाक्स में ऐसे कर सकते हैं,
इण्टर्नेट ऍक्स्प्लोरर में ऐसे कर सकते हैं,
ऑपरा में ऐसे कर सकते हैं,
जोड़ने के बाद हिन्दी को सबसे ऊपर लाना न भूलें।
साथ ही, जालराज नज़र रखते हैं कि किस किस यात्री ने कौन सी भाषा को सबसे ऊपर रखा है - उन्हें इशारा मिलेगा कि हिन्दी के स्थल पसन्द करने वाले लोग भी काफ़ी हैं, और वह उस दिशा में काम करेंगे।
2. अपनी प्रचालन प्रणाली - यानी ऑपरेंटिंग सिस्टम - की भाषा हिन्दी करें। जब भी आप किसी स्थल पर जाते हैं तो आपका एक हरकारा उसे यह बताता है कि आपका ब्राउज़र कौन सा है, प्रचालन प्रणाली कौन सी है, भाषा कौन सी है। हिन्दी में प्रचालन प्रणाली करने से आपका हरकारा स्थल को यह बताएगा कि अगला हिन्दी में शायद चीज़ें पसन्द करे। हर स्थल का प्रबन्धक भाषा के अनुसार आँकड़े देखता रहता है और भाषा हिन्दी होने पर हिन्दी के आँकड़े प्रबन्धकों को अधिक दिखेंगे, और वह भी हिन्दी में स्थल बनाने को प्रेरित होंगे।
विण्डोज़ के लिए आप हिन्दी वाला विंडोज़ प्राप्त कर सकते हैं।
हिन्दी वाले लिनक्स के लिए आप इण्डलिनक्स की मदद ले सकते हैं। अंग्रेज़ी में थोड़ी और विस्तृत जानकारी।
सेब पर आप हिन्दी का लोकेल चुन सकते हैं। अंग्रेज़ी में थोड़ी और जानकारी।
3. अन्ततः यदि आप अपने किसी साथी को अपने यन्त्र की कोई छवि निकाल के भेजते हैं, या फिर अपने स्थल पर कोई छवि छापते हैं, तो कोशिश करें कि हिन्दी वाली छवि छापें या भेजें, जैसे कि ऊपर इण्टर्नेट ऍक्स्प्लोरर की छवि है। इससे लोगों में कौतूहल बढ़ेगा, और अधिक लोग हिन्दी का इस्तेमाल करेंगे, उससे अधिक जालराजों की हिन्दी के प्रति जागरूकता बढ़ेगी, और हिन्दी में सामग्री की बढ़ोतरी होगी।
पहले दो बिन्दु आपको बस एक ही बार करने होंगे, और वह दोनो करने के बाद आप जब भी छापने के लिए कोई छवि निकालेंगे, तो उसमें हिन्दी स्वतः ही आएगी। यह काम आप अपने दफ़्तरी यन्त्र पर भी कर सकते हैं, मैंने किया है।
अरे जनाब, सब कुछ कर लें कर लें कह रहे हैं.
जवाब देंहटाएंमेरे हिसाब से इन्फोसिस, विपरो, टीसीएस को और नही तो बिल्लू भाई, गूगल या याहू को ऐसा स्पाईवेयर(एथिकल) बनाना चाहिए जो हिन्दी प्रयोग करते सिस्टम में घुस कर ये सब अपने आप कर दे।
बिलकुल ठीक लिखा है. हमें जताना होगा की हम हिन्दी को पसन्द करते है.
जवाब देंहटाएंकमाल की बात है की हम जैसे गधे जो हिन्दी के जालस्थल मुख्य रूप से बना रहे हैं, संजाल की भाषा हिन्दी बताना भूल जाते है.
इसी कारण मैने अपना ब्राउज़र हिन्दी का किया है तथा लोगो को फायर फोक्स प्रयोग करने के लिए प्रेरित करता हूँ, हिन्दी वाला :)
संजय जी, हिन्दी वाले फ़ायर्फ़ाक्स की कड़ी है क्या? फ़ायर्फ़ाक्स के स्थल पर तो नहीं है।
जवाब देंहटाएंयहाँ
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