- जापानियों के पास बहुत पैसा है।
- जापानी लोग ओम शांति ओम, साँवरिया जैसी सड़ी फ़िल्मों के बजाय वास्तव में कलात्मक चीज़ें पसंद करते हैं
- यह खबर सुन कर ब्लॉगर इतना खुश हुआ कि हिंदी की तारीखें भूल गया। बदल कर जापानी करनी पड़ी, सेटिंग्स -> प्रारूपण में जा कर।
15.11.07
आगे बिल्लू, पीछे सेब
खबर यह है कि बिल्लू सेब को नहीं खा रहा, बल्कि सेब आगे दौड़ रहा है और बिल्लू पीछे।
जापान में पिछले महीने, यानी अक्तूबर २००७ में ५४% सेब बिके हैं। यानी नए कंप्यूटर खरीदने वाले आधे से ज़्यादा वहाँ सेब खा रहे हैं।
इससे कई बाते सामने आईं -
10 टिप्पणियां:
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समस्या से परिचित हूँ पर कूटशब्दों में लिखी आप की पोस्ट समझ नहीं आई.. आप सताए हुए लोगों के साथ मज़ाक कर रहे हैं.. अरे भाई खोल कर साफ़-साफ़ बताइये कि पोस्ट टाइम एरर की समस्या का हल क्या है..
जवाब देंहटाएंये मत्स्य जी 9211 फैन थे। पर 9211 हैं तो 2007 में एक पोस्ट लिख भाग क्यों गये? शायद हिन्दी में दक्ष हो गये हों!
जवाब देंहटाएंमुझे नहीं पता था कि औरों को भी यही समस्या आ रही है। समाधान ऊपर तीसरी बिंदु में देखें।
जवाब देंहटाएंWhat's your problem man (if you really are a man, from your post you just seem an ungrateful pig). Stop ranting about Microsoft, and appreciate the goodness coming out of it.
जवाब देंहटाएंに投稿, 匿名 जी,
जवाब देंहटाएंमैंने बिल्लू भाई को ८००० रुपए दे कर माल खरीदा है, और फ़ायदा क्या है - वाइरस, स्पाइवेयर से बचने के लिए और खर्च करूँ? एहसान मानने की बात ही नहीं है क्योंकि एहसान नहीं लिया है, पूरे पैसे दिए हैं।
मस्तु जी हम सब को भी बहुत पसंद थे - मतलब हैं। आशा है वह यह पढ़ रहे होंगे और शीघ्र ही फिर लिखना शुरू करेंगे।
जवाब देंहटाएं"What's your problem man (if you really are a man, from your post you just seem an ungrateful pig). Stop ranting about Microsoft, and appreciate the goodness coming out of it."
जवाब देंहटाएंये जंगली सूअर हिन्दी चिट्ठों में माँ चुदाने आ गए है। बिल्लू की पॉईरेटिड चीज़ें प्रयोग पर कामरस भोगते हैं। अपने मां बाप के धर्म का पता नहीं, दूसरों के लिंग देखते फिरते हैं।
टिप्पणियों के बारे में मेरी नीति इस प्रकार है -
जवाब देंहटाएं१. यदि वह हिंदी में हो तो रहेगी
या
२. यदि वह हिंदी में न हो पर विषय से संबंधित हो तो भी रहेगी।
匿名 और अरविंद सिंह - दोनो की टिप्पणियाँ दोनो में से एक या अधिक मापदंड पर उत्तीर्ण हैं।
यह भी देखने लायक चीज़ है कि अरविंद सिंह की टिप्पणी ज़्यादा ज्वलनशील है - क्योंकि वह हिंदी में है। सच में, अंग्रेज़ी के बास्टर्ड को हिंदी में अनुवाद करने से शब्द के चारों ओर ज़बर्दस्त ओज फैलता है।
यह सब इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि कई लोग गाली गलौज के प्रति संवेदनशील तो हैं लेकिन अगर वह अंग्रेज़ी में होती है तो नज़रंदाज़ कर देते हैं। करनी हो तो अंग्रेज़ी को भी उतना ही पवित्र करने का परचम लहराएँ जितना हिंदी के लिए लहराते हैं।
सारांशतः यदि टिप्पणी हिंदी में न हो, और वह विषय-संबंधित भी न हो - दोनो बाते लागू होने पर ही मैं टिप्पणी हटाता हूँ और वह भी छपने के बाद, वह भी समय मिलने पर।
तदनुसार पाठकों से अनुरोध है कि क्या कहा जा रहा है उस पर ध्यान देते हुए चर्चा को आगे बढ़ाएँ, कैसे और किसके द्वारा, उस पर नहीं।
अरविंद सिंह जी, मुझे नही पता था की आप हिन्दी चिट्ठो मे टिप्पणी अपनी माँ चुदाने के लिए करते है. उम्मीद है आपको हर बार सफलता मिली होगी. अगर कुछ कमी रह जा रही हो तो कृपया बताये, हिन्दी चिट्ठीकारो का समुदाय काफी बड़ा है, आपकी अवश्य मदद करेंगे.
जवाब देंहटाएंआलोक जी, आपको (और हम सभी को) माइक्रोसॉफ्ट का आभारी होना चाहिए कि Windows जैसा software आपको सिर्फ ८००० रुपये मे उपलब्ध है. इसके अतिरिक्त, माइक्रोसॉफ्ट के मुफ्त software की सूची यहाँ देखे:
http://bhandler.spaces.live.com/blog/cns!70F64BC910C9F7F3!1231.entry
धन्यवाद.
匿名 जी, सूची के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंआभारी वे हों जो चोरी से विंडोज़ का इस्तेमाल करते हों। जो पूरा दाम दे रहे हों उन्हें अहसानमंद होने की ज़रूरत नहीं।
वैसे मेरी मूल प्रविष्टि केवल यह दर्शा रही थी कि अक्तूबर महीने में जापान में ५४% बिकने वाले कंप्यूटर सेब थे।
मैं न सेब बनाने वालों का आभारी हूँ न विंडोज़ बनाने वालों का। दोनो पैसे लेते हैं और माल देते हैं। आभारी अगर हूँ तो आपकी दी सूची में मौजूद मुफ़्त तंत्रांश बनाने वालों का और लिनक्स पर बढ़िया तंत्रांश निःशुल्क मुहैया कराने वालों का।
अगर माइक्रोसॉफ़्ट को लगता है कि वे ८००० रुपए में विंडोज़ हमें दे कर अहसान कर रहा है तो दाम और बढ़ा के देख ले। यह दाम बाजारी रणनीति के तहत तय किया गया है, सेवा भाव से नहीं इससे तो आप भी सहमत होंगे।